सोशल मीडिया पर लोकप्रिय वीडियो एप 'टिक टॉक' पर बैन लगाने के मद्रास हाईकोर्ट के निर्देश पर स्टे देने से सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इनकार कर दिया है। मद्रास हाईकोर्ट में मंगलवार को इस मामले पर अहम सुनवाई होनी है। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि पहले इस पर हाइकोर्ट से फैसला आने दीजिए। उसके बाद इस याचिका पर सुनवाई करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ इस याचिका पर सुनवाई कर रही हैं। पिछली सुनवाई के दौरान चीन की कंपनी 'बाइट डांस' की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों ने इस एप को डाउनलोड किया है और मद्रास हाइकोर्ट की मदुरै पीठ ने एकतरफा आदेश पारित कर दिया है।

मद्रास हाईकोर्ट ने तीन अप्रैल को इस एप के जरिये अश्लील और अनुचित सामग्री परोसे जाने की चिंता जाहिर करते हुए केंद्र को टिक टॉक एप पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया था। अदालत ने मीडिया को टिक टॉक से बनाई गई वीडियो क्लिप का प्रसारण नहीं करने का निर्देश दिया था। एप के जरिये उपभोगकर्ता छोटे वीडियो बनाते हैं और उन्हें साझा करते हैं। 

कोर्ट का यह आदेश तमिलनाडु के सूचना और प्रसारण मंत्री एम मणीकंदन के बयान के दो महीने बाद आया। मणिकंदन ने कहा था कि तमिलनाडु सरकार टिक टॉक ऐप को बैन करवाने के लिए केंद्र सरकार से बात करेगी। मंत्री ने कहा था कि एप से बच्चे गुमराह हो रहे हैं।

इस एप को बैन करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि इस एप के जरिए भारतीये संस्कृति को नुकसान हो रहा है। आदेश में कहा गया है कि याचिका में कुछ हानिकारक मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया था। टिक टॉक चाइनीज एप है। इंडिया में इसके 104 मिलियन यूजर्स है। यह एप इंडोनेशिया और बांग्लादेश में पहले से ही बैन है।