चारा घोटाले में आज सुप्रीम कोर्ट से जेल में बंद लालू प्रसाद यादव की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि चारा घोटाले के चार मामलों में कुल मिलाकर 25 साल से ज़्यादा की सज़ा पाने वाले लालू ने अभी तक महज 20 महीने ही जेल में काटे हैं।

चारा घोटाला मामलों में सजा काट रहे पूर्व रेल मंत्री और आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने मेडिकल ग्राउंड पर जमानत की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें नहीं लगता कि आपको जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। इसलिए आपकी याचिका खारिज कर रहे हैं। लालू यादव की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर मैं जमानत पर रिहा हुआ तो भाग नहीं जाऊंगा। मेरी याचिका पर सही से सुनवाई भी नहीं हुई है। आखिरकार में जमानत पर रिहा होता हूँ तो इसमें खतरा क्या है? जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि आपके दोषी होने के अलावा यहां कोई खतरा हैं। बता दें कि लालू यादव की जमानत का सीबीआई ने विरोध किया था।

सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि लालू प्रसाद यादव अस्पताल से राजनीतिक गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं। वो जेल में न रहकर अस्पताल के विशेष वार्ड में रहते है। सीबीआई की मानें तो लालू आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जमानत मांग रहे हैं। सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव पर आरोप लगाया है कि वह अब मेडिकल आधार पर जमानत मांगकर कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं। सीबीआई ने अपने हलफनामे में यह भी कहा था कि लालू को अपनी राजनीतिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए जमानत नहीं मिलनी चाहिए। यदि सभी दंडों की गणना संचयी रूप से की जाए तो लालू को 3.5 साल की सजा नहीं हुई है, बल्कि 27.5 साल की जेल हुई है।

सुप्रीम कोर्ट लालू प्रसाद यादव की ओर से दायर जमानत याचिका पर कल सुनवाई करेगा। लालू प्रसाद यादव ने चारा घोटाले के चाईबासा, देवघर और दुमका मामले में जमानत की गुहार लगाई है। यादव ने बढ़ती उम्र, गंभीर बीमारियों और आने वाले लोकसभा चुनाव का हवाला दिया गया है। गौरतलब है कि झारखंड हाइकोर्ट ने 10 जनवरी 2019 को लालू प्रसाद यादव को जमानत देने से इनकार कर दिया था। सीबीआई कोर्ट ने लालू प्रसाद को देवघर, दुमका और चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में सजा सुनाई है। जबकि लालू प्रसाद यादव की ओर से हाइकोर्ट से उक्त तीनों मामलों में सजा को निलंबित करते हुए जमानत देने का आग्रह किया था। सीबीआई ने लालू के जमानत का विरोध किया था।

वहीं लालू यादव की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि लालू प्रसाद को पूर्व में चाईबासा मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। कोर्ट ने लालू को सिर्फ 11 माह जेल में रहने के बाद ही जमानत मिल गई थी। सीबीआई के चाईबासा का दूसरा मामला भी आरसी 20ए-96 के समान है। क्योंकि ट्रेजरी भी एक है और उक्त मामले में सभी गवाह व दस्तावेज को इस मामले में भी संलग्न किया गया है।

कपिल सिब्बल ने दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में दलील देते हुए हाईकोर्ट को बताया था कि इस मामले में तत्कालीन विभागीय सचिव बेक जूलियस, नेता आर के राणा, जगदीश शर्मा व जगन्नाथ मिश्र बरी हो गए तो लालू प्रसाद ने किसके साथ मिलकर अवैध निकासी का षडयंत्र रचा। कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव को षड्यंत्र करने का दोषी पाया गया है, जबकि सीबीआई षड्यंत्र साबित करने में विफल रही है। यदि यह मामला षडयंत्र का रहता तो सभी को दोषी करार दिया जाना चाहिए। इससे साबित होता है कि लालू ने कोई षडयंत्र नहीं किया।