सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी आईपीएस अफसर राजीव कुमार की गिरफ्तार पर लगी रोक को सात दिनों के लिए बढ़ा दिया है। अब राजीव कुमार को निचली अदालत से जमानत लेनी पड़ेगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद राजीव कुमार की मुश्किलें बढ़ने जा रही हैं। सीबीआई ने कोर्ट में राजीव के खिलाफ सारधा चिटफंड घोटाले के सबूतों को छेड़छाड़ के सबूत पेश किए। 

असल में राजीव कुमार को गिरफ्तार करने के लिए दो महीने पहले सीबीआई ने अपील की थी। लेकिन तब सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी, लेकिन सीबीआई को उनसे पूछताछ करने की पूरी छूट दी थी। इसके बाद राजीव कुमार से सीबीआई से पूछताछ की। लेकिन वह सीबीआई के सवालों के जवाब नहीं दे रहे थे और न ही सहयोग कर रहे थे।

केन्द्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में राजीव कुमार द्वारा सारधा चिटफंट केस के सबूत नष्ट करने के सबूत दिए थे। जिसके बाद कोर्ट ने ये फैसला किया है। असल में जब राज्य में सारधा चिटफंड घोटाला हुआ था तो उस वक्त राजीव कुमार की अगुवाई में ही राज्य सरकार ने एसआईटी बनाई थी। इस घोटाला में राज्य की सत्ताधारी टीएमसी के कई नेता शामिल थे।

कई नेता अभी जेल में कुछ जमानत पर बाहर हैं। सीबीआई का आरोप था कि राजीव कुमार ने गवाहों और सबूतों से छेड़छाड़ की है और उन्हें मिटाया है। आज पश्चिम बंगाल सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सीबीआई की अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि सीबीआई बीजेपी के लिए काम कर रही है।