सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक के उस सर्कुलर को रद्द कर दिया है, जिसे उसने लोन न चुकाने वाली कंपनियों को दंडित करने के लिए जारी किया था। 12 फरवरी को रिजर्व बैंक द्वारा जारी इस सर्कुलर में 2000 करोड़ से अधिक का लोन न चुकाने वाली कंपनियों को दिवालिया घोषित करने प्रक्रिया शुरु करने की बात कही गई थी।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक के उस सर्कुलर को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया है जिसमें कहा गया था कि 2000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज लेने वाली कंपनियां अगर लोन चुकाने में एक दिन का भी विलंब करती हैं तो उनके बैंक खातों को क्लासिफाई किया जाए।
इसके बाद 180 दिन यानी छह महीने के अंदर भी यह समस्या दूर होती है तो सभी बैंकर ऐसे एकाउंट से जुड़े सभी दस्तावेज को एनसीएलटी(इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी ट्रिब्यूनल) भेजें या उन्हें दिवालिया घोषित करने की कार्रवाई के लिए कोर्ट को प्रेषित करें।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई द्वारा जारी 12 फरवरी के सर्कुलर को असंवैधानिक करार दिया है। इस सर्कुलर के खिलाफ एस्सार पावर, जीएमआर एनर्जी, केएसके एनर्जी, रतन इंडिया पावर के साथ एसोसिएशन ऑफ प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दिवालिया होने की कगार पर पहुंची इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर, शुगर, स्टील और शिपिंग जैसी 75 कंपनियों को राहत मिली है।
Last Updated Apr 2, 2019, 3:45 PM IST