भारती घोष ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिसके बाद अदालत ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। 

भारती घोष की ओर से दायर याचिका पर न्यायाधीश एके सीकरी और न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर की पीठ सुनवाई कर रही है। 

भारती कभी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की काफी करीबी रही थीं। लेकिन एक साल बाद भारती ने बीजेपी में शामिल हो गई।

जिसके बाद से उनपर पश्चिम बंगाल पुलिस का कहर टूट पड़ा। पिछली सुनवाई के दौरान भारती की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने बताया था कि पिछले साल से अब तक बंगाल पुलिस ने भारती घोष के खिलाफ छिनतई, सोना के लिए प्रतिबंधित नोट का अवैध लेन देन और भ्रष्टाचार के मामलों में सात एफआईआर दर्ज कर दी है। 

इसमें हाल ही में दर्ज किए गए भ्रष्टाचार का एक और मामला दर्ज किया गया। नया मामला वर्ष 2016 की घटना को लेकर है। बंगाल पुलिस विभिन्न जगहों पर भारती घोष के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। 

भारती के वकील ने अदालत से गुहार लगाई कि पुलिस की अगली कार्रवाई पर रोक लगाई जानी चाहिए और पिछली बार की तरह भारती घोष की गिरफ्तारी पर रोक लगाया जाना चाहिए। 

लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया और कोर्ट से कहा था कि भारती घोष रिट याचिका दायर कर अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग कर रही है, जो नही किया जा सकता। 

खुद पर केस दर्ज होने के बाद भारती भूमिगत हो गई थीं। जिसके बाद पश्चिम बंगाल पुलिस ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। लेकिन अदालत ने पिछले साल भी 1 अक्टूबर 2018 को भारती की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।