आम्रपाली ग्रुप के मामले में चल रही सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान  एनबीसीसी ने कहा है कि काशल और एडेन पार्क प्रोजेक्ट का काम शुरू करने वाला है और इसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चलिए काम शुरू कीजिए। 

सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 11 फरवरी को करेगा। कोर्ट उस दिन अगली सुनवाई के दौरान निदेशकों के खिलाफ अवमानना के मामले में सुनवाई के बाद फैसला देगा। 

कोर्ट ने यह भी कहा कि बिना बिकी प्रॉपर्टी, निदेशको और उनके परिवार के पास बकाया राशि की वसूली सहित अन्य मुद्दों पर भी सुनवाई के बाद फैसला देगी। 

कोर्ट ने एक बार फिर आम्रपाली के निदेशको को  चेताया कि जिस निदेशक के जेब में निवेशक के पैसे गए है वो उनको वापस करें अन्यथा परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।

 न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने यह आदेश दिया है। पिछली सुनवाई के दौरान फोरेंसिक ऑडिट में आम्रपाली समूह के कई नए राज सामने आया था। 

ऑडिटरो ने कोर्ट को बताया था कि 500 से अधिक लोगों के नाम पर महंगे-महंगे फ्लैटो की बुकिंग मात्र एक रुपये, पांच रुपये और रुपये प्रति वर्गफुट के भाव पर की गई थी। 

ऑडिट में यह भी सामने आया है कि ड्राइवरों, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों और ऑफिस बॉय का काम करने वालों के नाम पर 23 कंपनियां बनाई गई थी। ये कंपनियां आम्रपाली के गठबंधन का हिस्सा थी और घर खरीदारों के पैसे को इधर उधर करने के लिए इनको आगे किया गया था। 

फोरेंसिक ऑडिटरों ने कोर्ट को यह भी बताया था कि उनके सामने 655 ऐसे लोगों के नाम आए हैं, जिनके नाम पर फ्लैट की बेनामी बुकिंग की गई। उनके 122 पतों पर वैसा कोई व्यक्ति नही मिला। 

कोर्ट को यह भी बताया गया था कि किस तरह मुख्य वित्त अधिकारी चंदर वाधवा ने पिछले साल 26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने से पहले सिर्फ 3 दिन में 4.75 करोड़ रुपये अज्ञात लोगों को स्थानांतरित किये। 

रिपोर्ट के मुताबिक वाधवा के खाते में मार्च 2018 तक 12 करोड़ रुपये थे। बाद में उसने एक करोड़ रुपये अपनी पत्नी के नाम पर स्थानांतरित कर दिए। गौरतलब है कि साल 2013-14 में आयकर विभाग ने छापेमारी की गई थी, जिसमें 200 करोड़ रुपये के बोगस बिल और वाउचर जब्त किया गया था। साथ ही आम्रपाली समूह के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक अनिल कुमार शर्मा से जो एक करोड़ रुपये और निदेश शिव प्रिया से एक करोड़ रुपये मिले थे।