नई दिल्ली।

राममंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम फैसला होने वाला है। सुप्रीम कोर्ट आज फैसला करेगा कि इस विवादित मुद्दे पर मध्यस्थता हो या नहीं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ, इस मामले में सुनवाई करेगी। कोर्ट ने कहा था कि अगर एक फीसदी भी समझौता और मध्यस्थता का गुंजाइश हो तो प्रयास किया जाना चाहिए।

असल में कई सालों से चल आ रहे इस मामले पर पिछले महीने ही चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में पीठ का गठन हुआ है। इस मामले में जस्टिस बोबडे ने कहा था कि मेडिएशन की प्रकिया गोपनीय रहेगी और ये भूमि विवाद की सुनवाई के साथ साथ चलेगी। असल में इस मामले के हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि अदालत की पहल पर इस तरह से विवाद को सुलझाने की कोशिश अभी तक  नाकामयाब रही है। लिहाजा इसके लिए मध्यस्थता कर इसे निपटाया जाना चाहिए।

उधर मुस्लिम पक्षकारो की ओर से वकील राजीव धवन ने कहा कि मध्यस्थता के लिए एक मौका दिया जाना चाहिए। विदित है कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को दस्तावेजों का अनुवाद देखने के लिए 6 हफ्ते दिया था और कहा था कि हमारे विचार में 8 हफ्ते के वक्त का इस्तेमाल पक्ष मध्यस्थता के जरिए मसला सुलझाने के लिए भी कर सकते हैं। असल में सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्षों को झटका देते हुए 1994 के इस्माइल फारुकी के फैसले में पुनर्विचारके लिए मामले को संविधान पीठ में भेजने से इंकार कर दिया था।

क्या है राममंदिर बाबरी मस्जिद विवादित मामला।

 राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। वहीं इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 सितंबर  2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था। इस फैसले के मुताबिक विवादित जमीन को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाना था। इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। वहीं, दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी थी।