सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न हाई कोर्ट में जजों के खाली पड़े पदों को भरने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। जिसपर सुप्रीम कोर्ट 6 हफ्ते बाद सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम की सिफारिशों पर जल्दी करवाई करने के किसी भी तरह का निर्देश केंद्र सरकार को जारी करने से इंकार कर दिया है।
मामले की सुनवाई के दौरान एनजीओ की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र सरकार कॉलेजियम द्वारा हाई कोर्ट जजों की नियुक्ति की सिफारिश वाली फाइलों को दबा कर बैठी है।
जिसपर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि ऐसा नहीं है। केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट जजों की नियुक्ति संबंधी फाइलों का तेजी से निपटारा किया है। केंद्र के पास 70/80 प्रपोजल कॉलेजियम ने भेजे थे। जिसमें से केंद्र के पास केवल 27 प्रपोजल ही लंबित हैं।
इतना ही नही मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि यह हम हैं जो जजों की नियुक्ति संबंधी प्रपोजल को पास नहीं कर पा रहे हैं।
चीफ जस्टिस होने के नाते मैं आपको (प्रशांत भूषण )बता रहा हूँ कि जजों की नियुक्ति पहले की तुलना में काफी तेजी से हो रही हैं। जिसके बाद याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने मेरे चार्ट के अनुसार 9 सिफारिशें ऐसी हैं जो सरकार मंजूर ही नहीं कर रही है।
हाइकोर्ट में खाली पड़े जजों की खाली पड़े पदों को लेकर एनजीओ सीपीआईएल ने सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दायर की हुई है। याचिका में हाइकोर्ट की जजों की नियुक्ति के मामले में पारदर्शिता लाने की मांग की गई है।
Last Updated Feb 22, 2019, 5:13 PM IST