चुनावों में मतदान के लिए 50 फीसदी ईवीएम की पर्चियों का वीवीपैट से मिलान को लेकर दाखिल की गयी पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अगले हप्ते सुनवाई करने को तैयार हो गया है। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकार्ताओं के वकील ने इस मामले की खुली अदालत में सुनवाई करने और जल्द सुनवाई की मांग की। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। असल में विपक्ष की 21 पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पुनर्विचार याचिका दाखिल कर अपने फैसले पर फिर से विचार करने की मांग की थी।

गौरतलब है कि कोर्ट ने 50 फीसदी ईवीएम की पर्चियों का वीवीपैट से मिलान को अव्यावहारिक माना था। कोर्ट ने कहा था कि लेकिन चुनाव प्रक्रिया की विश्वनीयता बढ़ाने के लिए कोर्ट ने प्रति विधानसभा क्षेत्र की 5 ईवीएम मशीनों की पर्चियों को वीवीपैट से मिलान करने का आदेश दिया था। जबकि पहले प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के एक ईवीएम मशीन की पर्चियों को वीवीपैट से मिलान किया जाता है।  

बता दें कि 21 विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के जवाब के बाद कहा था कि लोकसभा चुनाव के नतीजे के ऐलान में 6 दिन की देरी होती है तो उन्हें स्वीकार है। क्योंकि वीवीपैट पर्ची के 50 फीसदी ईवीएम मतगणना के साथ मिलान करने से चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित होगी। हालांकि चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कहा था कि वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान किया जाता है तो लोकसभा चुनाव के नतीजे आने में 6 दिन की देरी होगी।

आयोग ने कहा था कि इसके लिए न सिर्फ बड़ी तादाद में सक्षम स्टाफ की जरूरत होगी बल्कि बड़े मतगणना हॉल की भी आवश्यकता होगी। विपक्षी दलों का कहना था कि फ्री एंड फेयर चुनाव के लिए ऐसा किया जाना जरूरी है। याचिकाकर्ता का कहना था कि ईवीएम और वीवीपीएटी की विश्वसनीयता पर पहले ही सवाल हैं। याचिका में कहा गया था कि लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित करने से पहले यह औचक निरीक्षण होना चाहिए। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा था।