नई दिल्ली। पाकिस्तान में बनने वाले पहले हिंदू मंदिर को लेकर मुस्लिम संगठनों के विरोध के बीच इमरान खान सरकार ने सरकार द्वारा दिए जाने वाले पैसे को लेकर पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्री नूर उल हक कादरी ने एक इस्लामी इकाई को पत्र लिखकर इस बारे में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। इस मामले में इमरान खान सरकार कुछ भी बोलने से कतरा रही है। जबकि पाकिस्तान में मुस्लिम कट्टरपंथी मंदिर का विरोध कर रहे हैं। हालांकि मंदिर का निर्माण को रोकने के लिए अदालत में की गई अपील को खारिज कर दिया है। गौरतलब है कि  इस्लामाबाद में हिंदू समुदाय कृष्ण मंदिर निर्माण कराने की तैयारी में है। 

पाकिस्तान में पहली बार मंदिर किया जा रहा है और इसके लिए कट्टरपंथी विरोध कर रहे हैं। हालांकि पाकिस्तान की इमरान खान नियमों का हवाला देते हुए मंदिर के निर्माण को रोकने की कोशिश कर रही है। पिछले दिनों ही पाकिस्तान सरकार मंदिर निर्माण नोटिस जारी किया था और इसके लिए नक्शा पारित करने को कहा था। वहीं इमरान खान सरकार ने मंदिर को निर्माण के लिए अनुमति देने के लिए तीन साल लगाए।

पाकिस्तान में आजादी के वक्त काफी मंदिर थे। लेकिन आजादी के मंदिरों में कब्जा कर लिया गया उन्हें मस्जिद बना दिया। या फिर जहां मंदिर हैं वह मुस्लिम आबादी होने के कारण हिंदूओं ने मंदिरों में जाना छोड़ दिया। जिसके बाद उन पर कब्जा कर लिया गया। लेकिन अब पाकिस्तान में इस्लामाबाद में हिंदू समुदाय मंदिर बनाना चाहता है। क्योंकि हिंदू समुदाय का कहना है कि मंदिर न होने के कारण वह एक स्थान पर एकत्रित नहीं हो पा रहे हैं।

हालांकि धार्मिक मामलों के मंत्री कादरी ने कहा कि मंदिर निर्माण को लेकर कोई समस्या नहीं है लेकिन क्या इसके लिए सरकार पैसे का उपयोग किया जा सकता है। पाकिस्तान सरकार ने मंदिर निर्माण के लिए 10 करोड़ रुपए की राशि मंजूर की है। फिलहाल  पाकिस्तान सरकार ने मंदिर को दिए जाने वाले पैसे को लेकर 'काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (सीआईआई) को पत्र लिखकर इस पर राय देने को कहा है।

सरकार ने सीआईआई से पूछा है कि क्या सरकारी पैसे से किसी गैर मुस्लिम धर्मस्थल का निर्माण किया जा सकता है। मंदिर के निर्माण को लेकर सांसदों और कादरी ने प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात की थी और इस में मौलवी और मौलाना भी मौजूद थे। जो मंदिर के निर्माण का विरोध कर रहे थे।