नई दिल्ली- देश में स्वच्छता अब महज एक अभियान नहीं बल्कि जन आंदोलन का रुप ले चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल के बाद देश में स्वच्छता का प्रसार तेजी से हो रहा है। जिसके सकारात्मक प्रभाव दिखने लगे हैं। संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी अब स्वच्छता पर भारत के अडिग इरादों का अनुमोदन करती हुई दिख रही हैं। 

यूएन के आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 में पांच साल के कम उम्र के बच्चों की मृत्युदर में दो लाख तक की बड़ी कमी देखी गई है। दो साल पहले तक पांच साल से कम उम्र के लगभग 10 लाख बच्चे मौत का शिकार बन जाते थे। लेकिन अब यह आंकड़ा घटकर लगभग 8 लाख पर आ गया है। बाल मृत्यु दर में यह सकारात्मक कमी पीने के साफ पानी, हाथ धोने की आदत, शौचालय का इस्तेमाल और खुले में शौच से मुक्ति के कारण आया है। यूएन ने इस पर बकायदा एक रिपोर्ट जारी की है। 

स्वच्छ भारत अभियान के शुरू होने के बाद से अब तक साढ़े आठ करोड़ शौचालय गांवों में बने हैं।

मौजूदा समय में 90 फीसदी से ज्यादा भारतीय शौचालय का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि 2014 में 40 फीसदी से भी कम लोग शौचालय का उपयोग करते थे। 

4.25 लाख गांव, 430 जिले, 2800 शहर खुले में शौच मुक्त हो गए हैं। 

पिछले चार वर्ष में 20 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश खुले में शौच से मुक्त हो गए हैं। 

देश के 718 में से 459 जिले खुले में शौच मुक्त घोषित किए जा चुके हैं।

सिक्किम भारत का पहला राज्य था जिसे खुले शौच से मुक्त घोषित किया गया था। हिमाचल प्रदेश और केरल दूसरे और तीसरे स्थान पर थे।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत, भारतीय रेलवे ने 37,000 जैव-शौचालयों की स्थापना की है। 
स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) में घरों के लिए 1.04 करोड़ शौचालय और 5.08 लाख सामुदायिक शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया है। 

पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के एक सर्वे के मुताबिक शौच मुक्त जिलों के बच्चे दूसरे जिलों की अपेक्षा ज्यादा स्वस्थ थे। जहां ओडीएफ(शौच मुक्त जिलों) के 9.3 फीसदी बच्चों पर डायरिया का प्रभाव था, वहीं दूसरे जिलों के 13.9 फीसदी बच्चे डायरिया प्रभावित थे। यह सर्वे पांच राज्यों के चार हजार बच्चों पर कराया गया था। 

इसी सर्वे के दौरान यह भी पता चला कि शौच मुक्त जिलों की 62.5 फीसदी महिलाएं स्वस्थ हैं, जबकि दूसरे जिलों की मात्र 57.5 फीसदी महिलाओं का स्वास्थ्य बेहतर है। 

भारत सरकार शौचालयों के निर्माण के लिए 10000-12000 रुपये देती है।

स्वच्छता पर तेजी से बढ़ता हुआ भारत स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर रहा है। जो कि देश के भविष्य के लिए नींव का पत्थर साबित होगा। क्योंकि स्वच्छ और स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। राष्ट्रपति महात्मा गांधी के सपनों के भारत के निर्माण की दिशा में यह सबसे बड़ा और ठोस कदम है।