लखनऊ। यौन शौषण के आरोप में जेल भेजे गए पूर्व केन्द्रीय मंत्री और भाजपा नेता स्वामी चिन्मयानंद की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जेल जाने के बाद अखाड़ा परिषद ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने का फैसला किया है। चिन्मयानंद महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर भी हैं। फिलहाल चिन्मयानंद को दिन पहले ही एसआईटी ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। हालांकि ब्लैकमेलिंग के आरोप में आरोपी छात्रा के तीन दोस्तों को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।

शाहजहांपुर के एसएस लॉ कॉलेज़ की छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप में पूर्व केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है और जल्द ही एसआईटी इस मामले में हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। फिलहाल जेल जाने के बाद चिन्मयानंद की मुश्किलें बढ़ गई हैं। क्योंकि उनके अपनों ने ही उनका साथ छोड़ना शुरू कर दिया है। अब अखाड़ा परिषद उन्हें परिषद से बहिष्कृत करने का फैसला किया है।

 

हालांकि परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने कहा है कि ऐसा लग रहा है कोई संस्था साधु-संतों को बदनाम करने के लिए साजिश कर रही है। हालांकि इसके लिए संत समाज ने हरिद्वार में 10 अक्टूबर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक बुलाई है। जिसमें उनको परिषद से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए तेरह अखाड़ों के साधु संतों की मौजूदगी में फैसला किया जाएगा। 

महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा चिन्मयानंद संत परंपरा से आते हैं और वे महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर भी हैं। उनके द्वारा किए गए गलत कार्यों को मांफ नहीं किया जा सकता है और ये बेहद शर्मनाक और निंदनीय है। कुछ साधु संतों के कारण पूरे समाज की बदमानी हो रही है। नरेन्द्र गिरी ने कहा कि हालांकि स्वामी चिन्मयानंद ने अपनी गलती मान ली है लेकिन उन्होंने जो पाप किया है।

उसे माफ नहीं किया जा सकता है और इसके लिए उन्हें सजा जरूर मिलेगी। अगर वह निर्दोष साबित होते हैं तो वह संत समाज का हिस्सा बनेंगे नहीं तो संत समाज से बहिष्कृत ही रहेंगे। महंत गिरी ने कहा कि उस छात्रा के खिलाफ भी कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। क्योंकि उसने और उसके तीन साथियों ने रंगदारी मांगी है।