नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान, गुजरात, पंजाब और महाराष्ट्र में स्वाइन फ्लू का सबसे ज्यादा असर है।
देश भर में स्वाइन फ्लू जानलेवा बनता जा रहा है। जनवरी के पहले तीन हफ्ते में ही देश के कई राज्यों में इसके 4571 मामले सामने आ चुके हैं। कुल 169 लोगों की मौत भी हो चुकी है।
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान, गुजरात, पंजाब और महाराष्ट्र में स्वाइन फ्लू का सबसे ज्यादा असर है। अकेले राजस्थान में देश में सबसे ज्यादा 40 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए हैं। राजस्थान में सबसे ज्यादा 72 लोगों की मौत हुई है, इसके बाद पंजाब 26, गुजरात 20, महाराष्ट्र 12 और दिल्ली 8 में मौतें हुई हैं।
Delhi: Till yesterday, 8 people died due to swine flu & 15 swine flu positive cases were reported at RML hospital.
— ANI (@ANI) January 30, 2019
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के समेकित रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में इसके मरीजों और मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है, जबकि उसके बाद पंजाब है। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में भी बीमारी की आमद दर्ज की गई है। सुअरों के श्वसन तंत्र से निकले वायरस के कारण होने वाली यह बीमारी बेहद संक्रामक है। हालांकि सामान्य अवस्था में यह बीमारी सुअरों से मनुष्यों में नहीं फैलती, लेकिन सूअर पालने वाले और उनके साथ काम करने वाले मनुष्यों में इसके संक्रमण की आशंका रहती है। इसके अलावा मांसाहार करने वाले लोग अगर संक्रामक मांस को अच्छी तरह पकाए बिना उसका सेवन कर लें तो उनमें बीमारी होने का जोखिम बढ़ जाता है और दूसरों में भी इसके संक्रमण का खतरा रहता है।
डॉक्टरों के अनुसार, इस घातक बीमारी पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है, अन्यथा यह एक राष्ट्रीय बोझ बन सकती है। वे बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करने के साथ ही इसकी चपेट में आने वालों के उचित उपचार और उसके आसपास के लोगों को इसके संक्रमण में आने से बचने के लिए पर्याप्त उपाय करने की हिदायत देते हैं।
छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं, डायबिटीज और दिल की बीमारी से मरीजों के इस बीमारी की चपेट में आने की आशंका अधिक होती है क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली सामान्य लोगों की तुलना में कमजोर होती है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि बीमारी की पहचान कर तत्काल इसका उपचार शुरू करना चाहिए अन्यथा मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
उचित आहार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और स्वाइन फ्लू होने की स्थिति में भी सफाई और उपचार के साथ ही आहार पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। एच1एन1 वायरस की चपेट में आने वाले मरीजों के उपचार के लिए तमाम जरूरी एहतियात बरते जाते हैं। बीमारी से संक्रमित लोगों के उपचार के लिए लगभग हर अस्पताल में एक अलग स्वाइन फ्लू वार्ड की व्यवस्था की जाती है ताकि अस्पताल के अन्य मरीजों और स्टाफ को इस बीमारी के संक्रमण से बचाया जा सके।
स्वाइन फ्लू के लक्षण महसूस होने पर तत्काल टेस्ट कराना चाहिए और यदि टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आए तो देर किए बिना इलाज किया जाता है। ऐसे में एंटीवायरल दवा देने से मरीज को तत्काल राहत मिलती है तथा कुछ समय के लिए बीमारी की तीव्रता कम हो जाती है। बुखार और खांसी, गला खराब, नाक बहना या बंद होना, सांस लेने में तकलीफ और बदन दर्द, सिर दर्द, थकान, ठिठुरन, दस्त, उल्टी, बलगम में खून आना इत्यादि स्वाइन फ्लू के सामान्य लक्षण हो सकते हैं।
आईडीएसपी के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 14,992 लोग स्वाइन फ्लू के वायरस के शिकार हुए और इनमें से 1,103 की मौत हो गई। उससे पिछले बरस इसका प्रकोप ज्यादा रहा और कुल 38,811 मरीजों में 2,270 को बचाया नहीं जा सका।
Last Updated Jan 30, 2019, 6:00 PM IST