नई दिल्ली। चीन के साथ चल रहे मौजूदा संबंधों के बाद भारत ने चीन को मात देने की तैयारी कर ली है। भारत ने एक चीन को मात देने के लिए टीम  डोकलाम को तैयार किया है। जिसमें तीन साल पहले डोकलाम विवाद को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई थी और चीन को इस मुद्दे पर पीछे धकेला था। चीन की पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) की आक्रामकता को कम करने के लिए सरकार ने भारत लद्दाख में सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है। 

असल में चीन लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर में भारत द्वारा किए जा रहे निर्माण को रोकना चाहता है। इसके जरिए चीन अपनी ताकत का एहसास कराना चाहता है।  लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसी के दबाव में नहीं आएगा और निर्माण कार्य को जारी रखेगा। असल में चीन को लगता है कि भारत के निर्माण से अक्साई चिन के लहासा-काशगर हाईवे को खतरा हो सकता है। क्योंकि ये तिबत्ती स्वायत्त क्षेत्र में है। असल में बीजिंग अपनी ताकत से भारत को कमजोर साबित करना चाहता है और इसके जरिए वह अपने करीबी पाकिस्तान की भी मदद करना चाहता है।

फिलहाल चीन से उभरे विवाद के बीच पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई में आज एक अहम बैठक हुई। जिसमें सेना के बड़े अफसरों ने हिस्सा लिया। लेकिन माना जा रहा है कि भारत ने इस मुद्दे  पर स्टैंड ले लिया है कि वह चीन के सामने नहीं झुकेगा और वहां पर निर्माण कार्य जारी रखेगा।  

असल में चीन इसके जरिए अमेरिका का भी अपनी ताकत का एहसास कराना चाहता है।  फिलहाल भारत डोकलाम टीम के जरिए मौजूदा संकट को खत्म करना चाहती है। इसके लिए टीम डोकलाम  के सदस्य नेशनल सिक्यॉरिटी अडवाइजर अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत और विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन का सामना करने के लिए तैयार है।