लाहौर। आतंकी हाफिज सईद का दावा है कि उसका लश्कर ए तैयबा से कोई संबंध नहीं है। हाफिज और प्रतिबंधित एलईटी व फलाह-ए-इंसानियत के 67 अन्य सदस्यों ने गिरफ्तारी के खिलाफ लाहौर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इन लोगों का कहना है कि उनका लश्कर से कोई संबंध नहीं है। इन आतंकियों को 17 जुलाई को टेरर फंडिंग मामले में अरेस्ट किया गया था।

जिसके बाद इन्हें लाहौर के कोट लखपत जेल में कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है। असल में सईद को एफएटीएफ के डर के कारण टेटर फंडिग के मामले में गिरफ्तार किया गया है। फिलहाल अभी पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे सूची में है और उस पर काली सूची में जाने की तलवार लटक रही है। अगर पाकिस्तान काली सूची में चला जाता है तो पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज नहीं मिलेगा।

असल में मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा (जेयूडी) चीफ आतंकी हाफिज सईद को पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया गया था। सईद वैश्विक आतंकी घोषित किया जा चुका है और अमेरिका ने उस पर प्रतिबंध लगाया। इस पूरी कहानी के पीछे पाकिस्तान को मिलने वाला कर्ज है। क्योंकि इमरान खान के एफएटीएफ में आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही करने के जो सूची सौंपी है। इसमें हाफिज का नाम नहीं है।

इमरान खान ने एफएटीएफ को सूची सौंपी में उसमे करीबी तीन दर्जन से ज्यादा आतंकियों के नाम हैं। जिसके जरिए इमरान खान जताना चाहते हैं कि पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही कर रहा है। अब लाहौर हाई कोर्ट में टेरर फंडिंग केस के मामले में सईद ने गिरफ्तारी को चुनौती दी है। सईद का कहना है कि उसका लश्कर से कोई ताल्लुक नहीं है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी घोषित किए गए हाफिज ने यह दावा किया है वह सामाजिक संगठन चलाता है। 

असल में एफटीएएफ ने पाकिस्तान से आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही करने को कहा है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखा है जबकि उस पर काली सूची में जाने की तलवार लटक रही है। अगर पाकिस्तान एफएटीएफ की काली सूची में चला जाता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज नहीं मिलेगा। जिसके कारण उसकी आर्थिक स्थिति और ज्यादा खराब हो जाएगी। एफएटीएफ को फिलहाल पाकिस्तान के दावों पर भरोसा नहीं है। उधर आईएमएफ ने भी कहा है कि अगर पाकिस्तान एफएटीएफ की सूची से बाहर नहीं निकलता है तो उसे कर्ज मिलने में दिक्कत हो सकती है।