पाकिस्तान में सेना की रणनीति ने रंग दिखाना शुरु कर दिया है। घाटी में आतंकियों की भर्ती बेहद कम हो गई है। 
दरअसल सेना ने ऑपरेशन ऑल आउट के साथ आतंकियों के जनाजे में भीड़ कम करने और वहां पर आतंकी समर्थकों की भाषणबाजी पर लगाई थी। जिसका अच्छा परिणाम अब दिखाई देने लगा है। 

इसके अलावा पिछले दिनों पाकिस्तान को जिस तरह भारत ने सबक सिखाया है और उसके उपर दबाव बढ़ाकर अपने मुताबिक फैसले करवाए हैं। इससे भी कश्मीर में आतंकी समर्थकों के हौसले कमजोर हुए हैं। 

सेना के सूत्रों ने जानकारी दी है कि पिछले साल तक नए आतंकियों की भर्ती में लगातार इजाफा हो रहा था। लेकिन इस साल से नए आतंकियों की संख्या लगातार गिरती जा रही है।
 
सेना के सूत्रों ने जानकारी दी है कि पिछले साल नवंबर में 10 जबकि दिसंबर में 20 नए आतंवादी बने थे। जबकि इस साल जनवरी में केवल 3(तीन) ही नए आतंकवादी बन पाए।
इसके बाद अगले महीने यानी फरवरी में तो एक भी नया आतंकवादी भर्ती नहीं हो पाया। 

यानी इस साल जनवरी में 3 नए आतंकियों की भर्ती के अलावा इस साल कोई भी नया आतंकवादी नहीं बन पाया। जबकि पिछले साल कुल 214 नए युवाओं ने आतंकवादी संगठनों के बहकावे आकर बंदूक थामी थी। 

दरअसल आतंकी युवाओं को दिमाग में जहर भरने के लिए जहरीले भाषण देते हैं। इसके लिए मारे गए आतंकियों के जनाजे का मौका चुना जाता है। कश्मीर घाटी में कुछ महीनों पहले तक 25 ऐसे भाषणबाज थे, जो कि युवाओं को बहकाकर उन्हें आतंक के रास्ते पर धकेल देते थे। 

लेकिन सुरक्षा बलों ने इन 25 भाषणबाजों में से 18 को ठिकाने लगा दिया। जिसके बाद बाकी सब भूमिगत हो गए हैं। 

इसके अलावा सुरक्षा बलों ने मारे गए आतंकियों की शवयात्रा मे जुटने वाली भीड़ पर भी अंकुश लगाया है। जिससे आतंकियों की भर्ती में कमी आई है। 

साथ ही पाकिस्तान पर होने वाली भारत की सख्त कार्रवाई ने तो जैसे पाकिस्तान परस्त आतंकियों को मनोबल ही तोड़ दिया है। क्योंकि उन्हें पैसे और हथियार पाकिस्तान से ही मिलते थे। 
लेकिन पिछले कुछ दिनों में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया है कि वह अपनी सारी शरारत भूल गया है। ऐसे में कश्मीरी आतंकियों को लग रहा है कि जब उनके मददगार पाकिस्तान का यह हाल है तो उनका क्या होगा। 

इसलिए घबराकर कश्मीर में आतंकियों का बंदूक के रास्ते से मोहभंग होता जा रहा है। 

इस बीच सुरक्षा बलों की कार्रवाई आतंकियों के खिलाफ लगातार जारी है। हर साल मारे जाने वाले आतंकियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

जहां 2014 में 104 आतंकी मारे गए थे। वहीं  2017 में 213, 2018 में 254 और इस साल यानी 2019 में दो ही महीने में 44 आतंकवादी मौत के घाट उतारे जा चुके हैं।