नई दिल्ली। नापाक पाकिस्तान के दोस्त मलेशिया की हेकड़ी भारत सरकार के एक फैसले के बाद निकल गई। पॉम ऑयल के बलबूते अर्थ व्यवस्था चला रहा मलेशिया भारत सरकार के ऑयल के निर्यात को बंद करने की धमकी के बाद घबरा गया है और अब उसने भारत सरकार के समक्ष प्रस्ताव रखा है। जिसके तहत वह भारत से मांस और चीनी का आयात बढ़ाना चाहता है। ताकि भारत भारत मलेशिया के स्थान पर इंडोनेशिया से खाद्य तेल न खरीदे।

मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को समर्थन देकर बड़ी गलती कर दी। क्योंकि जो मलेशिया मुस्लिम देश होने के कारण पाकिस्तान को समर्थन दे रहा था। यही समर्थन उसके लिए मुसीबत बन गया है। क्योंकि भारत सरकार के साथ ही तेल कारोबारियों ने मलेशिया से खाद्य तेल आयात बंद करने का फैसला किया। तेल व्यापारियों की संस्था ने साफ कहा दिया था कि किसी हाल में देश सर्वोपरि है।

लिहाजा वह तेल मलेशिया के बजाए इंडोनेशिया से करेंगे। जिसके पिछले दिनों दिनों में मलेशिया में तेल के भाव तीन फीसदी तक गिर गए हैं। हालांकि अभी तक भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर कोई फैसला नहीं लिया है। लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में भारत सरकार वहां से आयात किए जाने वाले तेज पर ड्यूटी बढ़ा सकती है। भारत मलेशिया से खाद्य तेल आयात करने वाले सबसे बड़ा देश है। मलेशिया की आर्थिक व्यवस्था सबसे ज्यादा पॉम ऑयल पर निर्भर है।

इससे कारोबार से किसान के साथ ही बड़े उद्योग जुड़े हैं। लिहाजा संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का साथ देने का खामियाजा मलेशिया को भुगतना पड़ सकता है। लिहाजा उनसे भारत से रिश्ते बेहतर करने के लिए और ज्यादा चीनी और मांस को आयात करने का फैसला किया है। भारत की नाराजगी दूर करने के लिए मलेशिया ने चीनी और भैंस के मांस का आयात बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। हालांकि भारत सरकार ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है।

फिलहाल कारोबारी मलेशिया को झटका देने के लिए इंडोनेशिया को मलेशिया से ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। हालांकि भारत सरकार पहले से ही मलेशिया की सरकार के नाराज थी। क्योंकि उसने भारत में आतंकी घटनाओं में शामिल और उग्रपंथी विचारों के जरिए आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले जाकिर नाइक को शरण दे रखी है। लेकिन पीएम महातिर मोहम्मद के यूएन में पाकिस्तान का साथ देने के बाद इस गुस्से को और ज्यादा बढ़ा दिया है।