वाराणसी--गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) की परेड में दिल्ली के राजपथ पर इस वर्ष काशी विद्यापीठ की झांकी देखने को मिली। झांकी को लेकर वाराणसी में पूरा विश्वविद्यालय उत्साहित नजर आया। दिल्ली के राजपथ पर होने वाले परेड में इस वर्ष बनारस की परंपरा व संस्कृति की झलक भी देखने को मिली।

झांकी में वाराणसी की परंपरा, संस्कृति, गंगा के घाट, काशी विश्वनाथ मंदिर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, गौतम बुद्ध के प्रथम उपदेश स्थल सारनाथ व कबीर से जुड़ी जगहों को दिखाया गया। शनिवार को राजपथ पर गुजरी इस झांकी को लेकर पूरे जनपद में लोगों के बीच खासा उत्‍साह रहा। 

महात्मा गांधी जयंती के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष तौर से इस झांकी को तैयार किया गया है। झांकी के अगले हिस्से पर गांधी जी की पुस्तक 'सत्य के प्रयोग' को दिखाया गया है। वाराणसी प्राचीन धर्म नगरी के तौर पर भी देखा जाता है। पिछले चार साल में यहां पर कई छोटे बड़े आयोजन हो चुके हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई हस्तियां वाराणसी के घाट देखने पहुंची हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशी मेहमानों को काशी की विद्यापीठ, मंदिर और घाट दिखाने के लिए यहां लेकर आए हैं। प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन वाराणसी में ही आयोजित किया गया है। यहां पर आए मेहमानों को घाट, मंदिर, विद्यापीठ एवं दूसरे धार्मिक स्थलों पर ले जाया गया है। 

गणतंत्र दिवस पर काशी विद्यापीठ की झांकी आने से वहां मौजूद देश विदेश के अनेक लोगों में वाराणसी देखने की जिज्ञासा पैदा होगी। झांकी में बौद्ध भिक्षुक, साधु और पंडित कर्मकांड की प्रक्रिया से गंगा की पूजा करते नज़र आएंगे। इसके अलावा झांकी में वाराणसी के सुसज्जित मंदिरों और भक्तिभाव की समरसता को भी दिखाया गया है।