भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया यानी महाराज का दरबार लगना शुरू हो गया है। उनके प्रदेश के दौरे के कारण राज्य की कांग्रेस राजनीति का तापमान बढ़ा हुआ है। क्योंकि कांग्रेस सोनिया गांधी से सिंधिया की मुलाकात के बाद वह सीधे प्रदेश के दौरे पर हैं और उनकी सक्रियता को देखकर लग रहा है कि जल्द ही उन्हें उनकी चुप्पी का इनाम मिलने वाला है।

पिछले चार दिनों से ज्योतिरादित्य सिंधिया भोपाल दौरे पर हैं। जिसके बाद से ही प्रदेश की सियासत का पारा चढ़ा हुआ है। भोपाल दौरे के पहले दिन उन्होंने अपने करीबी नेताओं और कमलनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्रियों के साथ मुलाकात की थी। जिसके बाद इस चर्चा को बल  मिला कि सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद उन्हें पार्टी आलाकमान का आर्शीवाद मिल गया है। माना जा रहा है कि उन्हें उनकी चुप्पी का इनाम पार्टी पीसीसी चीफ बना सकती है। जिसकी मांग उनके समर्थक काफी समय से कर रहे हैं।

लेकिन राज्य और केन्द्र की राजनीति में मजबूत पकड़ रखने के कारण कमलनाथ उन पर हावी होते गए हैं। लेकिन अगर आलाकमान सिंधिया को पीसीसी प्रमुख नियुक्त करता है तो जाहिर है सियासी तौर पर ये कमलनाथ की हार होगी। जबकि कमलनाथ ने सिंधिया को प्रदेश की राजनीति से अलग रखने के लिए केन्द्रीय राजनीति में सक्रिय कर दिया था। लेकिन सिंधिया प्रदेश में ही सक्रिय रहना चाहते हैं। असल में प्रदेश की राजनीति में अब तीन खेमे ही रह गए हैं। जिसमें अकसर दिग्विजय सिंह और कमलनाथ खेमा सिंधिया के खिलाफ एकजुट हो जाता है। हालांकि दिग्विजय सिंह कमलनाथ सरकार के खिलाफ भी बयान देते रहते हैं।

फिलहाल सिंधिया की सक्रियता से कांग्रेस की अंदुरूनी राजनीति का तापमान बढ़ा हुआ है। कांग्रेस आलाकमान से इराशा मिलने के बाद सिंधिया सीधे भोपाल पहुंचे और जहां उन्होंने अपने करीबी मंत्रियों और नेताओं के साथ मुलाकात की। वहीं अगले दिन वह पार्टी कार्यालय में भी पहुंचे और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। जबकि राज्य में कांग्रेस की सरकार बन जाने के बाद सिंधिया ने पार्टी कार्यालय और कार्यक्रमों से दूरी बनाकर रखी थी। फिलहाल सिंधिया के दरबार में दिग्गज नेताओं और कमलनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्रियों की चरण वंदना का सिलसिला लगातार जारी है।