रांची। झारखंड में कोरोना संकट में राज्य में जमकर धर्मांतरण का खेल चल रहा है।  राज्य में ताजा मामला धनबाद झरिया का है जहां लोगों के पुनर्वास के नाम पर दो दर्जन परिवारों का धर्म परिवर्तन कर उन्हें ईसाई धर्म बना दिया है।  ये मामला सामने आने के बाद हिंदू संगठनों और स्थानीय लोगों ने इसका जमकर विरोध किया और प्रशासन को शिकायत दर्ज कराई है। वहीं कोरोना लॉकडाउन में मिशनरिज ने राज्य में हजारों की संख्या में लोगों  को धर्मपरिवर्तन कराया है और अब ये लोग फिर से हिंदू धर्म में आना चाहते हैं।


जानकारी के मुताबिक राज्य में कोरोना की आड़ में मिशनरीज राज्य में धर्मांतरण करा रहे हैं। राज्य में सोमवार को भी एक मामला सामने आया है। झरिया के रहने वाले इंद्रजीत महतो ने बताया कि उसकी जमीन भू मालिक ने मकान बनाने के नाम पर ली गई थी। लेकिन यहां पर चर्च बनाया जा रहा है और स्थानीय लोगों को धर्मांतरण के लिए कहा जा रहा है। लिहाजा जमीन लेने वालों पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया जाए। इसके बाद जब अधिकारी व विधायक वहां पहुंचे तो लोगों ने इसका विरोध किया और चर्च पर लगे क्रास नष्ट कर दिया है।  बताया जा रहा है कि राज्य में इस तरह की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।  

राज्य में पिछले दिनों विश्व हिंदू परिषद ने भी राज्य में हो रहे धर्मांतरण का विरोध किया था और राज्य सरकार से मांग की थी कि राज्य में धर्म परिवर्तन पर रोक लगाई जाए। महतो का कहना है कि जमीन को घर बनाने के लिए लिया गया था और जब लोगों को पता चला कि चर्च जिस जमीन पर बना है वह जमीन ग्रामीण मनोहर मोहली से खरीदी गई है। इस जमीन को धर्म परिवर्तन कराने वाली संस्था यूथ मिशनरी मूवमेंट्स ने खरीदा है। तो लोगों का गुस्सा चरम पर पहुंच गया और यहां जमकर नारेबाजी होने लगी।  स्थानीय लोगों ने बताया कि यूथ मिशनरी मूवमेंट्स के सदस्य काइना पंसल व सुशांत प्रधान धर्म परिवर्तन कराने के लिए सक्रिय हैं और लोगों को लालच देकर धर्म परिवर्तन करा रहे हैं।

वहीं विहिप ने बेलगढ़िया में लगभग दो दर्जन लोगों के ईसाई धर्म अपनाने को गंभीरता से लिया है। विहिप का कहना है कि राज्य सरकार को धर्म परिवर्तन के मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए। विहिप का कहना है कि राज्य सरकार की विफलता के कारण लोगों का धर्म परिवर्तन ईसाई मिशनरी द्वारा  किया जा रहा है लॉकडाउन में ईसाई धर्म अपनाने पर विवश किया गया।