कोलकाता में विधानसभा के बाहर का नजारा कुछ अलग था। क्योंकि राज्यपाल जगदीप धनखड़ एक गेट से दूसरे गेट में पैदल जा रहे थे और उन्होंने कोई नहीं जानकारी नहीं दे रहा था कि उनकी विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात होगी या नहीं। उनके लिए विधानसभा के कर्मचारियों ने दरवाजा तक नहीं खोला। असल में राज्यपाल को विधानसभा अध्यक्ष ने दिन के खाने पर बुलाया था लेकिन ऐन वक्त पर इसे टाल दिया गया लेकिन इसकी जानकारी राज्यपाल को नहीं दी गई।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में राजभवन और ममता सरकार के बीच तनातनी जगजाहिर है। लेकिन ये तनातनी इस कदर बढ़ जाएगी किसी ने सोचा नहीं होगा। आज विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा में राज्यपाल को दिन के भोजन के लिए आमंत्रित किया लेकिन ऐन वक्त पर इसे टाल दिया गया और विधानसभा के गेट का दरवाजा बंद कर ताला लगा दिया। जिसके बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ एक गेट से दूसरे गेट में भटकते रहे और बाद में वापस चले गए।
कोलकाता में विधानसभा के बाहर का नजारा कुछ अलग था। क्योंकि राज्यपाल जगदीप धनखड़ एक गेट से दूसरे गेट में पैदल जा रहे थे और उन्होंने कोई नहीं जानकारी नहीं दे रहा था कि उनकी विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात होगी या नहीं। उनके लिए विधानसभा के कर्मचारियों ने दरवाजा तक नहीं खोला। असल में राज्यपाल को विधानसभा अध्यक्ष ने दिन के खाने पर बुलाया था लेकिन ऐन वक्त पर इसे टाल दिया गया लेकिन इसकी जानकारी राज्यपाल को नहीं दी गई।
जिसके बाद जब राज्यपाल गेट पर पहुंचे तो गेट पर ताला गया था और किसी ने गेट नहीं खोला। इसके बाद राज्यपाल एक गेट से दूसरे गेट पर गए लेकिन वहां पर भी ताला था। राज्यपाल के पहुंचने पर वहां पर मीडिया और लोग भी मौजूद थे। हालांकि इसके बाद राज्यपाल मीडिया से बात करने के बाद वहां से चले गए। राज्यपाल ने स्पीकर से विधानसभा की लाइब्रेरी देखने की इच्छा जताई थी और इसके लिए उन्होंने दिन के भोजन का भी न्योता दिया था।
हालांकि राज्य में राज्यपाल को नीचा दिखाने की ये पहली घटना नहीं है। कुछ दिन पहले जब राज्यपाल ने राजधानी से छह सौ किलोमीटर दूर एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए राज्य सरकार से सरकारी विमान मांगा तो राज्य सरकार ने सीधे तौर पर मना कर दिया और कहा कि राज्यपाल सरकारी वाहन से जाए। क्योंकि राज्य की सीएम भी वाहन से दौरा करती हैं। यही नहीं पहले भी राज्य सरकार ने राज्यपाल को विमान देने से मना किया था। दो दिन पहले ही जब राज्यपाल कोलकाता यूनिवर्सिटी गए तो वहां पर कुलपति गायब थे और उनके कमरे के बाहर ताला गया हुआ था।
जबकि विश्वविद्यालय का कुलाधिपति राज्यपाल होता है और राज्य सरकार की सिफारिश पर ही राज्यपाल कुलपति की नियुक्ति करता है। लेकिन अब राज्य सरकार और गर्वनर के बीच आ रही तल्खी से संवैधानिक खतरा पैदा हो रहा है। कुछ समय पहले राज्य सरकार ने राज्यपाल को सरकारी कार्यक्रम में आमंत्रित किया। लेकिन उसके लिए कुर्सी किनारे लगा दी गई। जिसके बाद राज्यपाल ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि उन्हें राजकीय अतिथि कि तरह सम्मान नहीं दिया गया।
Last Updated Dec 6, 2019, 10:40 AM IST