मामला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले का है। जहां सपा विधायक विधायक हाजी रिजवान को कोर्ट ने तीन घंटे की कस्टडी में भेज दिया। क्योंकि एक मामले की सुनवाई के दौरान विधायक के फोन की घंटी कोर्ट में बज गई। जबकि कोर्ट में आदेश था कि कोई भी व्यक्ति कोर्ट में मोबाइल लेकर प्रवेश नहीं करेगा।
लखनऊ। कोर्ट में मोबाइल बैन के बावजूद जब विधायक के मोबाइल की घंटी बजी तो जज साहब का पारा सातवें आसमान पर था। आखिर हो भी तो क्यों न। जब कोर्ट में फोन ले जाना प्रतिबंधित है तो मोबाइल की घंटी कैसे बजी। इसके बाद जज साहब ने फरमान सुना दिया कि विधायक को तीन घंटे के लिए कस्टडी में रखा जाए।
मामला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले का है। जहां सपा विधायक विधायक हाजी रिजवान को कोर्ट ने तीन घंटे की कस्टडी में भेज दिया। क्योंकि एक मामले की सुनवाई के दौरान विधायक के फोन की घंटी कोर्ट में बज गई। जबकि कोर्ट में आदेश था कि कोई भी व्यक्ति कोर्ट में मोबाइल लेकर प्रवेश नहीं करेगा। लिहाजा इसे कोर्ट के आदेश का अवमानना माना गया और जज ने फोन की घंटी सुनते ही विधायक को कस्टडी में लेने का आदेश दे दिया। उसके बाद उन्हें तीन घंटे बाद उसे रिहा कर दिया गया।
असल में हाजी रिजवान समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। वह एडीजे-दो कोर्ट में बारह साल पुराने मामले में तलब किए गए थे। क्योंकि उन पर आरोप है कि अप्रैल 2007 में वोट डालने के लिए उन्होंने की लोगों को रोका था। याचिकार्ता ने आरोप लगाया गया था कि विधायक और उनके कार्यकर्ताओं ने उन्हें वोट डालने से रोका और मारपीट की। इस मामले में आरोपी सपा विधायक 2008 में हाई कोर्ट से मिली जमानत मिलने के बाद बाहर हैं। लेकिन अब जमानत की अवधि खत्म हो जाने के बाद कोर्ट ने उन्हें तलब किया था। जिसके बाद उन्हें फोन की घंटी बजने पर तीन घंटे कस्टडी में रखा।
Last Updated Oct 20, 2019, 8:41 AM IST