नई दिल्ली। पड़ोसी मुल्क और आतंकी की फैक्ट्री कहे जाने वाले पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका लगा है। पहले दवाई के लिए तरसने वाले पाकिस्तान के कपड़े के कारखानों के पहिए थमने लगे हैं। वहां पर कपड़े बनाने वाली कई कंपनियों में बंदी शुरू हो गई है। इसका सबसे बड़ा कारण वहां भारत से जाने वाल कपास है। कपास की कमी का असर अब वहां के कारखानों में देखने को मिल रहा है।

असल में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पाकिस्तान ने भारत से कारोबारी रिश्तों को खत्म कर दिया था। जिसके बाद आर्थिक तौर पर पाकिस्तान को काफी नुकसान हो रहा है। पहले पाकिस्तान में दवाई की कमी हो रही है। क्योंकि भारत से सस्ती दरों पर पाकिस्तान को दवाई सप्लाई की जाती थी। लेकिन अब उसे अन्य देशों से महंगी दवाएं मंगानी पड़ रही है। पाकिस्तान में रैबीज की वैक्सीन की काफी कम हो गई है। भारत से 1000  हजार में निर्यात किए जाने वाली वैक्सीन का यूरोपीय बाजार में कीमत 50 हजार रुपये है।

लिहाजा पाकिस्तान सरकार की ये स्थिति नहीं है कि वह इन दवाओं को मंगा सके। लेकिन अब उसे एक बड़ा झटका कपास के मामले में लग रहा है। क्योंकि पाकिस्तान में कपास की कमी हो गई है। जिसका सीधा असर कपड़ा उद्योग में पड़ रहा है। भारत से सस्ती कीमत में पहले कपास पाकिस्तान को निर्यात किया जाता था। लेकिन व्यापारिक रिश्ते खत्म होने के बाद वहां निर्यात बंद हो गया। इसके कारण पाकिस्तान में फैक्ट्रियां बंद रही है और देश की घरेलू खपत की जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशों से महंगा कपास आयात करना पड़ रहा है।

फिलहाल देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान को अमेरिका, ब्राजील व दूसरे देशों से महंगा कपास खरीदना पड़ा रहा है। पाकिस्तान में कपास की कमी के कारण कपड़ा उद्योग में सीधा असर हो रहा है। यही नहीं इस बार पाकिस्तान में कपास उत्पादन भी कम हुआ है और इस साल यहां पर इसमें 26.54 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।

पाकिस्तान के व्यापारियों के मुताबिक भारतीय कपास का भाव मौजूदा समय में करीब 69 सेंट प्रति पौंड है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कपास का भाव करीब 74 सेंट प्रति पौंड है। यानि विश्व बाजार से कपास मंगाना पाकिस्तान के लिए घाटे का सौदा है। लिहाजा इसके कारण पाकिस्तान में कपड़ा उद्योग के पहिए थम गए हैं। वहीं इसके कारण बेरोजगारी भी बढ़ रही है। लिहाजा विपक्षी दल इसके लिए सीधे तौर इमरान खान सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।