असल में कैंट सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। हालांकि अभी तक भाजपा ने किसी को प्रत्याशी नहीं बनाया है। सपा ने यहां से मेजर आशीष चतुर्वेदी को टिकट दिया है। जबकि यहां से मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू टिकट पर दावेदारी कर रही थी। क्योंकि यहां पर 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में अपर्णा को मुलायम की सिफारिश पर अखिलेश यादव ने टिकट दिया था।
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी के संरक्षक मुलायम की सलाह को दरकिनार किया है। अखिलेश यादव ने लखनऊ की कैंट सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए मुलायम सिंह की छोटी बहू की दावेदारी को दरकिनार किया है। सपा ने यहां पर मेजर आशीष चतुर्वेदी को पार्टी का प्रत्याशी बनाया है जबकि ढ़ाई साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने अपने सौतेले भाई प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव को टिकट दिया था। वहीं ये भी चर्चा है कि सपा में अपनी भविष्य न देख अपर्णा यादव पार्टी और यादव परिवार से बगावत कर भाजपा का दामन थाम सकती हैं।
असल में कैंट सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। हालांकि अभी तक भाजपा ने किसी को प्रत्याशी नहीं बनाया है। सपा ने यहां से मेजर आशीष चतुर्वेदी को टिकट दिया है। जबकि यहां से मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू टिकट पर दावेदारी कर रही थी। क्योंकि यहां पर 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में अपर्णा को मुलायम की सिफारिश पर अखिलेश यादव ने टिकट दिया था। लेकिन इस सीट पर भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी ने अपर्णा को हराया।
उपचुनाव को लेकर अपर्णा इसलिए भी दावा कर रही थी क्योंकि इस सीट पर उत्तराखंड के मतदाता खासी संख्या में हैं। जो काफी निर्णायक माने जाते हैं। अपर्णा ने लोकसभा चुनाव में भी पार्टी से टिकट मांगा था। लेकिन पार्टी ने उनकी मांग को दरकिनार कर दिया है। हालांकि लखनऊ में इस बात की चर्चा है कि अपर्णा भाजपा का दामन थाम सकती है और भाजपा उन्हें कैंट सीट से टिकट भी दे सकती है। इसके जरिए भाजपा मुलायम के परिवार को साध कर अखिलेश यादव को बड़ा झटका दे सकती है।
हालांकि अपर्णा अकसर बयानों को लेकर भी अखिलेश और नीतियों का विरोध करती रहती हैं। वह पीएम नरेन्द्र मोदी और राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रशंसक है और असर उनकी नीतियों का समर्थन करती हैं। जबकि अखिलेश यादव की नीतियों को लेकर वह कटाक्ष भी करती हैं। लोकसभा में रामादेवी और आजम प्रकरण पर अपर्णा ने अखिलेश यादव से आजम के खिलाफ कार्यवाही करने को कहा था। वहीं सपा ने मेजर को मैदान में उतारकर इस सीट पर अहम माने जाने वाले सैनिकों को साधने की कोशिश की है। वहीं सपा इसके जरिए यहां के सवर्ण वोट में भी सेंध लगाने की भी जुगत में है।
Last Updated Sep 29, 2019, 10:14 AM IST