नई दिल्ली। आर्थिक तौर पर कंगाल हो चुके पाकिस्तान ने विश्व बिरादरी को बेवकूफ बनाने के लिए नई चाल चली है। एफएटीएफ की काली सूची से बचने के लिए पाकिस्तान ने वहां पर बैठे आतंकियों और उनके संगठनों के खिलाफ एफआईआर की है और इसे उसने एफएटीएफ के सामने रखा है। ताकि वह बता सके कि वह उनके खिलाफ कार्यवाही कर रहा है। लेकिन पाकिस्तान की ये चलाई काम नहीं आने वाली है क्योंकि पाकिस्तान की इस सूची में आंतकी हाफिज सईद का नाम नहीं है। वहीं आईएफएफ ने भी कहा कि अगर पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं आता है तो उसके मिलने वाले कर्ज में मुश्किलें आ सकती हैं।

एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही करने का आदेश दिया है और अगर पाकिस्तान ऐसा नहीं करता है तो उसे काली सूची में डाल दिया जाएगा जबकि वह अभी ग्रे सूची में है। अगर पाकिस्तान एफएटीएफ की सूची में आ जाता है तो उसे आर्थिक तौर पर बड़ा नुकसान होगा और उस पर बहुत सारे प्रतिबंध लग जाएंगे। यही नहीं कंगाल पाकिस्तान और ज्यादा कंगाल हो जाएगा और वहां पर बेरोजगारी के साथ ही महंगाई और ज्यादा बढ़ जाएगी।

लिहाजा पाकिस्तान ने नई चाल चली है। उसने एफएटीएफ की कार्यवाही से बचने के लिए पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों के खिलाफ एफआईआर की है। ताकि वह दिखा सके कि वह उनके खिलाफ कार्यवाही कर रहा है। पाकिस्तान ने दुनिया के सामने आतंकी संगठनों के खिलाफ जो एफआईआर कि रिपोर्ट पेश की है वह मात्र दिखावा है।  पेश किया है, वह पूरी तरह दिखावे वाला कदम प्रतीत होता है।

गौरतलब है कि पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स  की ग्रे लिस्ट में और वह काली सूची में जाने से बचने के लिए तरह तरह के हथकंड़े अपना रहा है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान से प्रतिबंधित आतंकी संगठनों और उनके नेताओं के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने को कहा था। हालांकि इस एफआईआर में कहीं पर भी लश्कर चीफ हाफिज सईद का नाम नहीं दर्ज किया गया है। जबकि एफएटीएएफ ने पाकिस्तान को हाफिज के साथ ही आतंकी संठगन लश्कर-ए-तैयबा पर प्रतिबंध लगाने को कहा था। 

पाकिस्तान कर्ज मिलने में आ सकती है दिक्कत

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रतिनिधि टेरीजा सांचेज ने साफ कहा कि अगर पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकलता है तो उसे कर्ज मिलने में दिक्कत आ सकती है। अगर एफएटीएफ पाकिस्तान के दावों से संतुष्ट नहीं होता तो वह उसे काली सूची में भी डाल सकता है।

इसके बाद तो पाकिस्तान को विश्व स्तर पर कोई भी संगठन कर्ज नहीं देगा। अगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान और ज्यादा गरीब हो जाएगा। क्योंकि आईएमएफ के आदेश के बाद उसने देश में कई तरह के टैक्स थोप दिए हैं। वहीं पाकिस्तान की जनता में इस कर्ज को लेकर भी नाराजगी है।