देहरादून। उत्तराखंड ग्रामीण विकास आयोग ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को  14-बिंदु रिपोर्ट सौंपी है, जिसके तहत लॉकडाउन के दौरान राज्य में वापस लौटने वाले प्रवासियों के आर्थिक पुनर्वास के लिए राज्य में स्वरोजगार के अवसर मुहैया कराने की बात की कही गई है। आयोग का मानना है कि पहाड़ी जिलों के ग्रामीण विकास और सामाजिक-आर्थिक सूचकांकों को बढ़ावा देने कदम उठाने की जरूरत है।

रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में आने वाले प्रवासियों में से तीस फीसदी राज्य में रहकर  स्वरोजगार अपनाना चाहते हैं। इसके लिए सरकार को जरूरी कदम उठाने होंगे। वहीं साठ फीसदी वापस काम कर जाना चाहते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रमिकों के लिए स्वरोजगार के अवसर पैदा करने और योजनाओं के माध्यम से बुनियादी ढाँचे को मुहैया कराने के लिए ठोक कदम उठाने होंगे। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि प्रवासी मजदूरों को रोकने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए।

ताकि बाद में इस तरह की दिक्कतों से रूबरू न होना पड़े। मुख्यमंत्री ने राज्य के अफसरों से एक रिपोर्ट बनाने को कहा था ताकि इस दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि जो प्रवासी राज्य में स्वरोजगार अपनाना चाहते हैं उन्हें सरकारी योजनाओं में छूट, ब्याज मुक्त ऋण और घरेलू बिजली दरों में छूट मुहैया करानी होगी। वहीं राज्य में पर्यटन इन प्रवासियों के लिए स्वरोजगार का जरिया हो सकता है। वहीं राज्य में कृषि, बागवानी और पशुपालन के साथ-साथ गैर-कृषि विकल्पों पर ध्यान देने की जरूरत है।

रिपोर्ट के अनुसार, 59,360 प्रवासी राज्य में वापस आए हैं। इसमें सबसे अधिक पौड़ी जिले में 12,039 प्रवासी इसके बाद अल्मोड़ा में 9,303, टिहरी में में 8,782, चंपावत में 5,707, पिथौरागढ़ में 5,035, नैनीताल में 4,771, उत्तरकाशी 4,721, रुद्रप्रयाग में 4,247, चमोली में 3,214 और बागेश्वर में 1,541 प्रवासी वापस आए हैं। राज्य में लौटने वालों में 60 प्रतिशत से अधिक अन्य राज्यों से लौटे हैं, जबकि लगभग तीन से पांच प्रतिशत विदेशों से और  शेष राज्य के अन्य जिलों से लौटे हैं वहीं लगभग 30 प्रतिशत राज्य में रहना चाहते हैं।