भगवान ने अवतार ग्रहण भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। 2 सितम्बर रविवार को अष्टमी तिथि दिन में 5 बजकर 9 मिनट से 3 सितम्बर 3 बजकर 29 मिनट तक हैं और रोहिणी नक्षत्र रविवार को शाम 6:32 से प्रारम्भ होकर अगले दिन सोमवार को 17:39 तक हैं। 2 सितम्बर रविवार को रात्रि में अष्टमी और रोहिणी का संयोग बन रहा है अतः गृहस्थ लोग 2 को जन्माष्टमी व्रत रख सकते हैं।

भारतीय पंचांग पद्धति में उदया तिथि से काल गणना होती है। उदया तिथि मतलब सूर्योदय के समय की तिथि। 2 तारीख को सूर्योदय में सप्तमी है अतः भ्रम बन रहा है किंतु दोपहर से अष्टमी लग जाए रही है और मध्यरात्रि में अष्टमी तिथि और रोहिणी का संयोग बन रहा है। इस दृष्टि से रविवार रात भगवान के जन्मोत्सव के लिए उचित है।

सोमवार को दिन भर अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र है। उदया तिथि में इस मुहूर्त के होने से सोमवार को भी जन्माष्टमी मनाई जा रही है।

तो फिर क्या करें, कब रखें व्रत? रविवार या सोमवार?

इसका उत्तर है कि दोनों ही दिन शास्त्रानुसार व्रत के योग्य हैं। गृहस्थ रविवार को मनाएं, साधु-संत सोमवार को रखेंगे लेकिन गृहस्थ भी यदि सोमवार को रखते हैं तो कुछ अनुचित नहीं। देश-काल-परिस्थिति के अनुसार का भी नियम लागू होता है। यानी ज़्यादा भ्रम हो तो आपके समाज में जिस दिन हो रहा हो उसका पालन करें।