तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव की जन्मशताब्दी समारोह मनाने का फैसला किया है और ये कार्यक्रम पूरे साल भर चलेगा और उनके जन्मस्थान पर राज्य सरकार कांस्य की विशालकाय मूर्ति भी स्थापित करेगी। केसीआर इसके जरिए कांग्रेस की विरासत पर अपना दावा करने में पीछे नहीं है।
हैदराबाद। पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की आज जन्मशती है और देश के सभी दल उनकी विरासत से दावा करती हैं। पिछले दिनों ही उन्हें भारत रत्न देने की मांग उठी है। लेकिन ये मांग कांग्रेस पार्टी की तरफ से कभी नहीं उठी है। लेकिन अब तेलंगाना की चंद्रशेखर राव सरकार उनका जन्मशताब्दी समारोह मनाकर उनकी विरासत पर दावा कर रही है। लिहाजा राज्य में कांग्रेस के लिए ये बड़ा धक्का है और ऐसे में राज्य में कांग्रेस एक तरह से खत्म हो जाएगी। हालांकि कांग्रेस नेतृत्व कभी नहीं चाहेगा कि नरसिम्हा राव को भारत रत्न मिले।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव की जन्मशताब्दी समारोह मनाने का फैसला किया है और ये कार्यक्रम पूरे साल भर चलेगा और उनके जन्मस्थान पर राज्य सरकार कांस्य की विशालकाय मूर्ति भी स्थापित करेगी। केसीआर इसके जरिए कांग्रेस की विरासत पर अपना दावा करने में पीछे नहीं है। क्योंकि कांग्रेस ने नरसिम्हा राव और उनकी विरासत को हाशिए पर धकेल दिया। लिहाजा केसीआर इसे कार्यक्रम वृहदस्तर पर आयोजित कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस की राज्य ईकाई भी केन्द्रीय नेतृत्व के सामने नतमस्तक है।
राज्य की सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति सरकार इस कार्यक्रम को पूरे साल भर आयोजित करेगी और इसके लिए राज्य सरकार ने अलग से 10 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है। इस कार्यक्रम के लिए टीआरएस ने राज्यसभा सदस्य के केशव राव की अगुवाई में एक समिति का गठन किया है। जो साल भर चलने वाले कार्यक्रम की देखरेख करेगी। वहीं टीआरएस सरकार हैदराबाद में नरसिम्हा राव का एक स्मारक स्थापित करेगी और वारंगल, करीमनगर, दिल्ली में तेलंगाना भवन और राव की जन्मस्थली वांगरा में उनकी पांच कांस्य प्रतिमाएं स्थापित करेगी।
इसके साथ ही टीआरएस ने उन्हें भारत रत्न दिए जाने के लिए सिफारिश की है और इसके लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजने की तैयारी भी कर ली है। राज्य की सत्ताधारी पूर्व पीएम राव का जन्मशताब्दी समारोह मनाने के साथ ही राज्य के स्कूलों के उनके जीवन पर एक अध्याय पाठ्यक्रम में शामिल कर चुकी है।
सोनिया की नाराजगी पड़ी भारी
पीवी नरसिम्हा राव ने 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक देश में प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली। लेकि कांग्रेस में सोनिया के बढ़ते दखल के बाद सोनिया के समर्थक धड़े ने उन्हें हाशिए पर धकेल दिया। यहां तक कि सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद 1998 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने उन्हें टिकट तक नहीं दिया। सोनिया गांधी की राव से नाराजगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय तक नहीं लाया गया और कांग्रेस के नेताओं ने इसके लिए उनके बेटे से इसे आंध्र प्रदेश ले जाने के लिए कहा और वहीं दिल्ली में उनका स्मृति स्थल भी बनने नहीं दिया।
Last Updated Jun 28, 2020, 2:37 PM IST