राफेल सौदे पर मचे घमासान को लेकर एक नई और सनसनीखेज जानकारी सामने आई है। राष्ट्रीय सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि एक शीर्ष कांग्रेस नेता ने इस सौदे को लेकर आरोप लगाने से पहले अमेरिकी की हथियार निर्माता कंपनियों के अधिकारियों के साथ मुलाकात की थी। 

नाम गुप्त रखने की शर्त पर सरकार के एक शीर्ष सूत्र ने 'माय नेशन' को बताया, 'भारत और फ्रांस के बीच 23 सितंबर, 2016 को राफेल सौदे की शुरुआत हुई थी। लेकिन कांग्रेस ने इस पर नवंबर, 2017 में गुजरात चुनाव के दौरान आपत्तियां करनी शुरू कीं। कांग्रेस के एक शीर्ष नेता ने राफेल को लेकर आरोप लगाने से कुछ महीने पहले अमेरिका का दौरा किया था। वहां उन्होंने अमेरिका की रक्षा क्षेत्र की कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की थी।'

'माय नेशन' के पास इस नेता और उक्त कंपनियों के नाम हैं लेकिन अभी तक इस बैठक को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब न दिए जाने के चलते उन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया है। 'माय नेशन' ने दो दिन पहले ही अमेरिकी कंपनियों और कांग्रेस नेता को अलग-अलग अपने सवाल भेजे थे। 

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस नेता की इस मुलाकात की व्यवस्था पार्टी के एक अन्य नेता ने कराई थी। उनका अमेरिकी उड्डयन उद्योग से लंबा जुड़ाव रहा है। 

सरकार के सूत्रों के मुताबिक, यह समझ से परे है कि कांग्रेस नेता किसी हथियार निर्माता से क्यों मिले थे और वह भी तब 'जब वह सरकार का हिस्सा नहीं हैं।'

सूत्रों के अनुसार, 'कांग्रेस नेता की हथियार बनाने वाली कंपनी के अधिकारियों के साथ हुई इस मुलाकात के दौरान पार्टी के कई युवा नेता और एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनेता भी मौजूद थे।'

सरकार के सूत्रों का कहना है कि वे इस मामले में रक्षा क्षेत्र से जुड़े एक बड़े कार्पोरेट एक्जीक्यूटिव की भूमिका का पता लगा रहे हैं। इस शख्स को विपक्षी दल के एक वरिष्ठ नेता का करीबी माना जाता है। वह राफेल सौदे को लेकर सरकार के खिलाफ लगातार मीडिया से बात कर रहे हैं।