सोशल मीडिया पर अक्सर चर्चा में रहने वाले दिल्ली पुलिस के डीसीपी मधुर वर्मा एक विवाद में घिर गए हैं। आईपीएस अधिकारी और नई दिल्ली के डीसीपी मधुर वर्मा पर एक इंस्पेक्टर ने कथित तौर पर मारपीट करने और गलत ढंग से थाने में बिठाए रखने का आरोप लगाया है। इस संबंध में कमिश्नर को भी शिकायत भेजी गई है। मामला बढ़ने के बाद दिल्ली पुलिस ने इस मामले में तथ्यों की जांच का आदेश दे दिया है। 

नई दिल्ली रेंज में ट्रैफिक इंस्पेक्टर करमवीर ने मधुर वर्मा पर मारपीट करने का आरोप लगाया है। आरोप है कि एक कार्यक्रम से लौटते समय पंजाब नंबर की एसयूपी चला रहा मधुर वर्मा का ड्राइवर गाड़ी गलत दिशा में ले आया, इसके चलते भारी जाम लग गया। इस कार्यक्रम से कई जज भी उस रास्ते लौट रहे थे। करमवीर का आरोप है कि डीसीसी ने काफी शराब पी रखी थी। उसने स्थानीय पुलिस से कहा कि वह मधुर वर्मा का मेडिकल टेस्ट कराए लेकिन कुछ नहीं किया गया। करमवीर ने अपनी शिकायत में पूरे वाकये का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया है। 

जब इस मामले में 'माय नेशन' ने मधुर वर्मा से संपर्क साधा तो उनका कहना था कि करमवीर ने विभागीय कार्रवाई से खुद को बचाने के लिए शिकायत दर्ज कराई है। इस मामले और इंस्पेक्टर की लिखित माफी के कई गवाह मौजूद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इंस्पेक्टर करमवीर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की गई है। लेकिन उन्होंने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया कि आखिर देर रात 11 बजे क्यों इंस्पेक्टर करमवीर को पुलिस स्टेशन बुलाया गया। इस सवाल का भी कोई जवाब नहीं मिला है कि डीसीपी ट्रैफिक अभिषेक धानिया ने अपने जूनियर की शिकायत को कार्रवाई के लिए आगे भेजने की बजाय क्यों मामले को सुलटाने की कोशिश की। 

क्या कह रहे हैं मधुर वर्मा

करमवीर के खिलाफ दर्ज शिकायत के बदले में करमवीर ने यह शिकायत दर्ज कराई है। करमवीर के खिलाफ 10 मार्च को शिकायत की जा चुकी है। इसके गवाह भी है। उसके खिलाफ मेडिकल रिपोर्ट और विभागीय कार्रवाई भी शुरू की जा चुकी है। पूरी घटना की सीसीटीवी फुटेज मौजूद है। करमवीर के आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। वह खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है। उसने शिकायत इसलिए दर्ज कराई है ताकि उसके खिलाफ कोई कार्रवाई न हो। हमने सोमवार को करमवीर के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं कराया क्योंकि डीसीपी ट्रैफिक ने कहा था कि करमवीर के माफी मांगने के बाद मामला आपस में सुलझ जाएगा। सीसीटीवी में वह पुलिस स्टेशन के अंदर आराम से बैठा नजर आ रहा है। हमारे पर उसकी हाथ से लिखी माफी भी है। उसके खिलाफ एक उचित कार्रवाई का फैसला किया गया है। 

करमवीर के क्या हैं आरोप

करमवीर के मुताबिक, मेरी ड्यूटी ऐसे कार्यक्रम में लगी थी जहां सभी जज और चीफ जस्टिस को आना था। चीफ जस्टिस समेत सभी जजों ने ट्रैफिक के संचालन में सहयोग किया लेकिन डीसीपी नई दिल्ली मधुर वर्मा का ऑपरेटर रोहित एक निजी कार को गलत दिशा में चला रहा था। जब मैंने उसे रोका तो उसने धमकी देते हुए कहा कि यह कार मधुर वर्मा की है। रात 10.30 बजे मेरे डीसीपी ट्रैफिक ने मुझे मधुर वर्मा को फोन करने को कहा। उन्होंने मुझे 11 बजे तुगलक रोड पुलिस स्टेशन बुलाया। रात 11.35 बजे अपनी गाड़ी के पास खड़े मधुर वर्मा ने मुझे गालियां देनी शुरू कर दीं। उन्होंने मेरा मोबाइल भी छीन लिया। जब मैंने गाली देने पर उनका विरोध किया तो उन्होंने मुझे थप्पड़ मार दिया। इसके बाद उन्होंने मुझे फिर गालियां दी और थप्पड़ मारे। उन्होंने तीन बार ऐसा किया। रात 1.35 बजे मैंने अपने डीसीपी को बताया कि मधुर वर्मा ने मुझे गालियां देते हुए मारपीट की। मैं गलत तरीके से हिरासत में रखने और मारपीट करने के लिए मधुर वर्मा के खिलाफ शिकायत करना चाहता था। 

डीसीपी मधुर वर्मा ने बड़ा अन्याय किया है, मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता। मैंने पुलिस कमिश्नर को फैक्स से शिकायत भेज दी है। तुगलक रोड थाने के एसएचओ को भी एक शिकायत दी है।  उन्होंने मुझे कई बार मारा। वर्मा ने मुझे दूसरे पुलिसकर्मियों के सामने तीन बार थप्पड़ मारे। इस पूरी घटना की सीसीटीवी फुटेज भी है, वह इसे सार्वजनिक क्यों नहीं करते। उन्होंने मुझे अवैध तरीके से हिरासत में रखा। अगले दिन जब मैं अपने डीसीपी के पास गया तो मधुर वर्मा ने मुझसे माफी भी मांगी। उन्होंने यह भी कहा कि मुझे उनके ऑपरेटर की बात नहीं सुननी चाहिए थी। मैंने 10-11 मार्च की रात को ट्रामा सेंटर में मेडिकल भी कराया है। 

कुछ सवाल जिनके उत्तर नहीं मिले?

आखिर ड्यूटी कर रहे करमवीर को क्यों पुलिस स्टेशन जाने पर मजबूर होना पड़ा?
आखिर क्यों देर रात में पुलिस स्टेशन में करमवीर से मिले मधुर वर्मा?
अगर करमवीर पिछले 48 घंटे से बुरा वर्ताव कर रहा था तो वर्मा ने उसके खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया?
कार्रवाई तभी क्यों की गई जब करमवीर की शिकायत वायरल हो गई?
क्यों नई दिल्ली रेंज के डीसीपी अभिषेक धानिया ने वर्मा को कार्रवाई करने से रोका?
आखिर धानिया क्यों इस मामले में कार्रवाई अथवा शिकायत के पक्षधर नहीं थे?