लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्‍यनाथ सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए उपद्रव में हिंसा फैलाने और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले आरोपितों से नुकसान की भरपाई के मामले में एक और बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने लखनऊ और मेरठ में दावा ट्रिब्‍यूनल के गठन को मंजूरी दे दी।  इसके बाद आरोपित इसे कोर्ट में चुनौती नहीं दे सकेंगे और राज्य  सरकार उनसे नुकसान का  भरपाई कराएगी।

असल में राज्य सरकार ने इसी साल मार्च में ही उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी सम्पत्ति क्षति वसूली नियमावली 2020 को कैबिनेट से मंजूरी दी। इसके तहत अब लखनऊ और मेरठ में सम्पत्ति क्षति दावा अधिकरण का गठन किया गया है।  अब राज्य में राजनीतिक जुलूसों, विरोध प्रदर्शनों, आंदोलनों के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों से क्षतिपूर्ति की वसूली की जाएगी और ये ट्रिब्यूनल इसकी सुनवाई करेंगे। इन ट्रिब्यूनल के पास सिविल न्यायालय की सभी शक्तियां प्राप्त होंगी और इनका फैसला अंतिम होगा। यही नहीं इसके खिलाफ किसी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकेगी। 

इन ट्रिब्यूनल के बन जाने के बाद क्षतिपूर्ति पाने के लिए संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटना के तीन माह के अंदर दावे के लिए आवेदन करना होगा। राज्य में लखनऊ मंडल के दावा अभिकरण के कार्यक्षेत्र के तहत झांसी, कानपुर, चित्रकूट धाम, लखनऊ, अयोध्‍या, देवी पाटन, प्रयागराज, आजमगढ़, वाराणसी, गोरखपुर, बस्‍ती और विन्‍ध्‍याचल धाम मंडल को शामिल किया गया है जबकि मेरठ मंडल के दावा अभिकरण के कार्यक्षेत्र के तहत सहारनपुर, मेरठ, अलीगढ़, मुरादाबाद, बरेली और आगरा मंडल की दावा याचिकाओं पर विचार किया जाएगा। 

सीसीए के विरोध में हुए थे हिंसक उपद्रव

राज्य में पिछले साल सीसीए के विरोध में संप्रदाय विशेष  के लोगों ने राज्य में हिंसक प्रदर्शन किए थे। इसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। वहीं उपद्रवियों ने सरकारी और नीजि संपत्तियों को काफी नुकसान पहुंचाया था। जिसके बाद राज्य सरकार ने इसके लिए कानून बनाया था।  अब इस कानून के बन जाने के बाद ट्रिब्यूनल दंगाईयों और उपद्रवियों से संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई करेगी।