नई दिल्ली--लोकसभा में तीन तलाक बिल के पास होने के बाद कराने के बाद मोदी सरकार के इरादे बुलंद है।  एक ओर जहां मोदी सरकार इस बिल को राज्यसभा में पास कराना चाहेगी, वहीं इस बिल को पास होने से रोकने के लिए कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल हर संभव कोशिश करेंगे। 

राज्य सभा में सरकार के पास बहुमत नहीं

लोक सभा में सरकार के पास बहुमत होने के चलते यह विधेयक 245 मतों से पास हो गया जबकि 11 वोट विपक्ष में पड़े थे। वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस, एआईएडीएमके, समाजवादी पार्टी और डीएमके ने बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग करते हुए वॉक आउट कर दिया था। अगर इन पार्टियों का यहीं रुख रहा तो राज्यसभा में इस  बिल का पास होना मुश्किल हो जाएगा। 

राज्य सभा में वोटों का गणित

राज्यसभा में संख्याबल को देखें तो सदन में इस समय कुल सदस्यों की संख्या 244 है, जिसमें 4 सदस्य नामित हैं। राज्यसभा के मौजूदा 244 सांसदों में बीजेपी के पास 73 सांसद हैं। उसके सहयोगियों में जेडीयू के 6, अकाली दल के 3 और शिवसेना के 3 सांसद हैं। कुछ और छोटे दलों के 4 सांसदों का समर्थन बीजेपी के साथ है।

नामांकित और निर्दलीय मिलाकर 9 और सांसद उसके पक्ष में आ सकते हैं। यानी 244 में से कुल 98 सांसदों का समर्थन इस बिल को मिल सकता है। इस संख्या बल के हिसाब से देखे तो राज्य सभा में बिल को पास कराना मुश्किल होगा। 

विपक्ष का पलड़ा भारी

जबकि विपक्ष का पलड़ा संख्याबल के मामले में सरकार पर भारी है। मौजूदा परिस्थिति में विपक्ष के पास 115 सांसद हैं, जिसमें कांग्रेस के 50, टीएमसी के 13, समाजवादी पार्टी के 13, टीडीपी के 6, आरजेडी के 5, सीपीएम के 5, डीएमके के 4, बीएसपी के 4, एनसीपी के 4, आम आदमी पार्टी के 3, सीपीआई के 2, जेडीएस के 1, केरल कांग्रेस (मनी) के 1, आईएनएलडी के 1, आईयूएमएल के 1, 1 निर्दलीय और 1 नामित सदस्य शामिल हैं.

सरकार इन सांसदों के भरोसे 

कुछ ऐसे सांसद भी हैं जो अलग-अलग समय पर अपना स्टैंड बदलते रहे हैं। जिन्हें ना तो सत्ता पक्ष में रखा जा सकता है और ना तो विपक्ष की श्रेणी में। इनहीं दोलों के सांसदों की भूमिका वोटिंग के दौरान सबसे अहम होने जा रही है।

इन दलों में एआईएडीएमके, पीडीपी, बीजद और वाईएसआरसीपी जिनके सांसदों की संख्या 32 है। जहां पीडीपी और एआईएडीएमके ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है। वहीं 9 सांसदों वाली बीजद, 6 सांसदों वाली टीआरएस और 2 सांसदों वाली वाईएसआरसीपी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। ऐसे में सरकार को इनसे उम्मीद है।