उडुपी जिले के कोरंगरापडी में रहने वाले कृष्णा पुजारी ने हजारो रेल यात्रियों की जान बचा ली। इसके लिए उन्हें तीन किलोमीटर तक दौड़ना पड़ा। जबकि उनका एक पैर बीमारी की वजह से कमजोर हो चुका है। इसके बावजूद वह एक पैर के सहारे दौड़ते हुए तीन किलोमीटर दूर रेलवे अधिकारियों तक पहुंचे। उनके इस बहादुरी भरे कारनामे की वजह से हजारो ट्रेन यात्रियों की जानें बच गई। 

कृष्णा पुजारी शनिवार की सुबह रोज की तरह टहलने के लिए निकले थे। तभी उन्होंने देखा कि ब्रह्माथाना नागबाना के पास रेल की पटरी पर दरार है। तभी वहां से एक ट्रेन गुजरी, जिसके बाद पटरी पूरी तरह टूट गई। 

इसके बाद कृष्णा पुजारी से रहा नहीं गया। वह बिना देरी किए दौड़ते हुए पास के रेल कार्यालय पहुंचे, जो कि घटनास्थल से तीन किलोमीटर दूर था। उन्होंने रेल अधिकारियों को पटरी टूटे होने की सूचना दी। 

कृष्णा पुजारी के सूचना देने के बाद रेल अधिकारियों ने एक ट्रेन को टूटी पटरी से सात किलोमीटर दूर जबकि दूसरी ट्रेन को 16 किलोमीटर दूर रोक दिया। जिसके बाद रेल इंजीनियरों ने तुरंत टूटी पटरी की मरम्मत की। इस तरह एक बड़ा हादसा टल गया।  

53 साल के कृष्णा पुजारी की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। वह एक फूड स्टॉल पर काम करके किसी तरह अपना जीवन-यापन करते हैं। पिछले दिनों वह बीमार पड़ गए थे। जिसकी वजह से उनका एक पैर बेहद कमजोर हो गया था। डॉक्टरों ने उनको रोज सुबह टहलने की सलाह दी थी। 

लेकिन जब कृष्णा पुजारी ने टूटी हुई पटरी को देखा, तो उन्होंने अपने कमजोर पांवों की परवाह न करते हुए दौड़ लगा दी। हालांकि उनके पैरों में भयानक दर्द हो रहा था। लेकिन वह कहीं भी रुके नहीं और लगातार दौड़ते हुए तीन किलोमीटर दूर रेल कार्यालय पहुंचे। क्योंकि वह जानते थे, कि उनकी कुछ पलों की देरी हजारो यात्रियों की जान ले सकती है।