नई दिल्ली। तुर्की ने उत्तरी सीरिया में सैन्य कार्रवाई की है। जिसका विरोध विश्वस्तर पर हो रहा है। अमेरिका ने तुर्की को धमकी दी है कि अगर उसने हमले जारी रखे तो वह उसे बर्बाद कर देगा। यही नहीं अमेरिका ने तुर्की पर आर्थिक प्रतिबंध भी लगा दिए हैं। लेकिन तुर्की के इस पहल पर चीन और पाकिस्तान ही भिड़ गए हैं। पाकिस्तान तुर्की के फैसले का समर्थन कर रहा है तो चीन इसके खिलाफ है।

पाकिस्तान का आका चीन ने कुर्दिश बलों के खिलाफ तुर्की की कार्रवाही का विरोध किया है। चीन ने साफ किया है तुर्की को सीरिया में किसी भी तरह का हमला नहीं करना चाहिए। ऐसा कर वह क्षेत्रीय स्तर पर असंतुलन पैदा कर रहा है। जबकि तुर्की का दोस्त पाकिस्तान तुर्की को समर्थन दे रहा है। पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ दिया था। यही नहीं पाकिस्तान तुर्की और मलेशिया के साथ मिलकर इस्लामिक टीवी चैनल भी शुरू करने जा रहा है।

लिहाजा पाकिस्तान तुर्की के पक्ष में खड़ा है। हाल में खबर आई थी कि तुर्की पाकिस्तान के लिए युद्धपोत तैयार कर है। जिसको लेकर पाकिस्तान का काफी उत्साहित है। लेकिन तुर्की के मामले में पाकिस्तान और चीन भी आपस में भिड़ गए हैं। गौरतलब है कि तुर्की ने पिछले हफ्ते ही सीरियन कुर्दिश पीपल्स प्रटेक्शन यूनिट के खिलाफ हवाई हमले कि थे। क्योंकि तुर्की कुर्दिश को उग्रवादी मानता है और अपने देश के लिए खतरा बताता है। जबकि कुर्दिश सीरिया में आईएस के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं।

चीन ने तुर्की से सैन्य कार्रवाई बंद करने को कहा है। चीन का कहना है कि तुर्की के हमला करने से आईएस के आतंकियों का फायदा होगा और वह बच निकल सकते हैं। इससे अभी तक किए अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी प्रयासों को झटका लग सकता है। वहीं पाकिस्तान ने सीरिया में कुर्दिश बलों के खिलाफ तुर्की की कार्रवाई का समर्थन किया है। इसके लिए पाकिस्तान के पीए इमरान खान ने तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन को समर्थन देते हुए फोन पर बातचीत की और अपना रूख बताया। गौरतलब है कि तुर्की के राष्ट्रपति इस महीने पाकिस्तान आ रहे हैं। जिसमें कई समझौतों पर दोनों देशों के हस्ताक्षर होंगे।