पिछले कुछ महीनों से ट्विटर के रवैये को लेकर भारी बवाल चल रहा है। लोगों ने इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के खिलाफ सड़क पर उतरकर विरोध जताया था। 

उनका आरोप था कि पिछले कुछ महीनों से ट्विटर और फेसबुक व्यवस्थित रूप से ऐसे लोगों की वैचारिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रहे हैं जो गैर-वामपंथी विचारधारा वाले सदस्यों के रुप में जाने जाते हैं। ऐसे लोगों के हैंडल को निलंबित करके, उनकी पहुंच को प्रतिबंधित करने की कोशिश की जा रही है। 

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इसके खिलाफ दिल्ली की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन भी किया गया था। जिसके बाद सूचना और प्राद्यौगिकी मामलों की संसदीय समिति ने ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी और ट्विटर इंडिया के वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया था। 

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पेशी के लिए उन्हें 25 फरवरी तक का समय दिया गया था। समिति के अध्यक्ष बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने ट्विटर के अधिकारियों को पेश होने के लिए 10 दिन का वक्त दिया था। 
ठाकुर ने 1 फरवरी को ट्विटर को पत्र भेजकर बुलाया था। लेकिन बाद में बैठक को 11 फरवरी कर दिया था। बाद में समय बढ़ाकर 25 फरवरी किया गया। 

 लेकिन ट्विटर के अधिकारियों ने संसदीय समिति के सामने पेश होने से मना कर दिया था।

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ट्विटर के इस रवैये की वजह से सरकारी हलकों में भारी नाराजगी है। सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और भारत सरकार के उच्च विभागों की तरफ से ट्विटर को चेतावनी जारी की गई है। संसद की स्टैंडिंग कमिटी ने भारत में होने वाले आम चुनावों से पहले ट्विटर द्वारा जानबूझकर ब्लॉक किए जा रहे चुनिंदा अकाउंट्स को लेकर उसकी कड़ी आलोचना की है।

सूचना प्राद्यौगिकी मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि अगर ट्विटर ने अपने प्लैटफॉर्म से ऐसे कॉन्टेंट को हटाने में देरी की तो इसे भारत के आईटी लॉ का उल्लंघन माना जाएगा। 

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भारत सरकार का कहना है कि ट्विटर को कानून का पालन करने के आदेश जारी कर दिए है। अगर ट्विटर इसे मानने से इनकार करता है तो उसके खिलाफ कड़ा ऐक्शन लिया जाएगा।

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