आज राज्यसभा के स्थगित होने के साथ ही मोदी सरकार के दो अहम बिल रद्द हो गए हैं। राज्यसभा में भाजपा के पास बहुमत न होना,सरकार के लिए बड़ी मुश्किल बना। केन्द्र की मोदी सरकार ने तीन तलाक और नागरिकता संसोधन बिल को लोकसभा से पारित तो कर लिया था। लेकिन राज्यसभा से पारित न होने को कारण अब ये दोनों बिल रद्द हो गए हैं।

केन्द्र सरकार पर तीन तलाक और नागरिकता बिल को लेकर काफी दबाव था। सरकार ने इसे लोकसभा से पारित तो करा लिया था। लेकिन राज्यसभा से पारित कराने में विफल रही। क्योंकि सरकार के पास राज्यसभा में पारित कराने के लिए जरूरी बहुमत नहीं था। लेकिन सरकार के पास लोकसभा में बहुमत था और उसने वहां से दोनों प्रस्तावों को पारित करा लिया था। अब राज्यसभा स्थगित होने के साथ ही दोनों बिल रद्द हो गए हैं।

मोदी सरकार के लिए राज्यसभा का आखिरी सत्र समाप्त हो गया है। मोदी सरकार के लिए आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर तीन तलाक और नागरिकता संबंधी प्रस्ताव काफी अहम थे। तीन तलाक के बिल के विरोध में ज्यादातर विपक्षी दल थे। मोदी सरकार के पास लोकसभा में इन प्रस्तावों को पारित कराने का बहुत तो था। लेकिन राज्यसभा में सरकार के पास ये आंकड़ा नहीं था। लिहाजा आज मोदी सरकार के बजट सत्र के आखिरी दिन भी इन्हें राज्यसभा में पेश नहीं किया गया। आज राज्यसभा में राफेल मुद्दे कैग की रिपोर्ट पेश हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार की राफेल डील यूपीए सरकार में प्रस्तावित डील से सस्ती है।

गौरतलब है कि अभी तक संसद का बजट सत्र काफी हंगामेदार रहा और अभी तक सरकार तीन प्रस्तावों को पास नहीं करा पायी। जिनको लेकर भाजपा के खिलाफ विपक्ष दल मोर्चा खोले हुए हैं। नागरिकता संशोधन विधेयक का पूर्वोत्तर के राज्यों में विरोध किया जा रहा है। इस बिल का विरोध करते हुए असम गण परिषद समेत कई दलों ने एनडीए का साथ छोड़ दिया है जबकि जदयू इसके विरोध में अपना वोट देगी। विपक्षी दल तीन तलाक बिल को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग कर रहे थे। असल में तीन तलाक बिल को पिछले साल 27 दिसंबर को लोकसभा से मंजूरी मिली थी और नये विधेयक को सितंबर में लागू अध्यादेश की जगह लेना था।

कैसे होते हैं बिल निष्प्रभावी-
नियमों के मुताबिक एक अध्यादेश की समयावधि छह महीने की होती है और सत्र शुरू होने पर इसे विधेयक के तौर पर संसद से 42 दिन (छह सप्ताह) के भीतर पारित कराना होता है, वरना यह अध्यादेश निष्प्रभावी हो जाता है। लेकिन अगर दोनों सदनों से इसे पारित कर दिया जाता है वह कानून का रूप ले लेता है। इसके बाद राष्ट्रपति द्वारा इसकी अधिसूचना लागू कर दी जाती है।