दिल्ली पुलिस की स्पेशल इकाई ने राजधानी से आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के दो आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है। इन दोनों आतंकवादियों को गुरुवार रात लाल किले के नजदीक गिरफ्तार किया गया। 

पुलिस का कहना है कि ये दोनों आतंकवादी कश्मीर जा रहे थे। इनके पास से हथियार भी बरामद हुए हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल दोनों आतंकवादियों को पांच दिनों की रिमांड पर लिया है। दोनों आतंकवादी दक्षिण कश्मीर के रहने वाले हैं।

इन दोनों की पहचान परवेज राशिद और जमशेद जहूर के रूप में हुई है। खास बात यह है कि जमशेद के पिता जम्मू-कश्मीर पुलिस में हैं। 
पुलिस ने बताया, कि इन दोनों को उमर नाजिर और आदिल ठाकुर नाम के आतंकियों से फंड और आदेश प्राप्त होते थे। 

स्पेशल सेल के डीसीपी पी.एस कुशवाहा के मुताबिक ‘यह दोनों गुरुवार की रात लाल किले के पास जामा मस्जिद की बस स्टॉप  गिरफ्तार किए गए। इनके पास से दो 0.32 बोर की पिस्तौलें और दस जिंदा कारतूस मिले हैं। इन लोगों ने यूपी से हथियार खरीदे थे और वापस जम्मू-कश्मीर लौट रहे थे।’

पुलिस के मुताबिक परवेज ने सिविल इंजीनियरिंग में डीएनएस कॉलेज से बी-टेक किया है और अब वह उत्तर प्रदेश से एम-टेक कर रहा है। उसका छोटा भाई फिरदौस पहले हिज्बुल मुजाहिदीन और फिर इस्लामिक स्टेट में शामिल हुआ, जो कि शोपियां में हुई सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया। फिरदौस बी श्रेणी का आतंकी था और उसपर पांच लाख का ईनाम भी था। 

ठीक उसी तरह जमशेद ने भी जम्मू कश्मीर की इस्लामिक यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी। 2017 में सबजार बट्ट के जनाजे में सकी मुलाकात शौकत से हुई जिसका साला शौकत सक्रिय आतंकवादी था, लेकिन वह एक एनकाउंटर में मारा गया था। 

डीसीपी कुशवाहा ने यह भी बताया कि जमशेद ने एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए गए आतंकवादी अब्दुल्लाह बासित को उमर इब्न नाजिर के कहने पर दिल्ली में ठिकाना उपलब्ध कराया था। यह सभी आतंकवादी दिल्ली को आवाजाही के रास्ते और हथियारों की डिलीवरी के तौर पर इस्तेमाल करते थे। 

ये गिरफ्तारियां चिंतित करने वाली हैं क्योंकि दिल्ली में आईएस से जुड़े आतंकवादियों की गिरफ्तारी पहली बार हुई है। समझा जाता है कि आईएसआईएस दिल्ली में हमले की साजिश रच रहा है। फरवरी 2016 में इस्लामिक स्टेट ने ऑनलाइन पत्रिका दाबिक के जरिए जम्मू-कश्मीर में अपनी मौजूदगी का दावा किया था। आईएसआईएस घाटी में अपना प्रोपगैंडा फैलाने के लिए इस ऑनलाइन पत्रिका का इस्तेमाल करता है। 

जबकि 2017 में जम्मू-कश्मीर में आईएस के धड़े ने खुद को आईएसजेके कहना शुरू किया।