सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अभी तक केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में एक भी महिला ने दर्शन नहीं किया है। जबकि मंदिर का कपाट खुले आज तीन दिन हो गए हैं। पिछले तीन दिनों से विभिन्न संगठनों द्वारा मंदिर में महिलाओं को प्रवेश करने को लेकर केरल भारी बवाल और प्रदर्शन चल रहा है। 

आज भी मंदिर के बाहर नारेबाजी और हंगामा हो रहा है। पुलिस भारी ने भारी सुरक्षा के बीच दो महिलाएं मंदिर की ओर लेकर जाने का प्रयास किया लेकिन मंदिर के बाहर भारी हंगामा और भारी विरोध के कारण वह दर्शन नहीं कर पाई। 

केरल सरकार और पुलिस प्रशासन सबरीमाला के सामने डंटे प्रदर्शनकारियों के सामने बेबस नजर आए। करीब 250 पुलिसकर्मियों के सुरक्षा घेरे में दो महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। इन महिलाओं को एंट्री पॉइंट से लौटना पड़ा। हैदराबाद के मोजो टीवी की जर्नलिस्ट कविता जक्कल और ऐक्टिविस्ट रिहाना फातिमा मंदिर में नहीं घुस पाईं। 

मंदिर के मुख्य पुजारी ने इस बात की धमकी दी कि अगर महिलाएं मंदिर के अंदर आईं तो वह मंदिर बंद कर देंग। जिसके बाद पुलिस ने भी दोनों महिलाओं को वापस जाने को कहा। पुजारी का कहना था कि अगर महिलाएं मंदिर में प्रवेश करती हैं तो वह मंदिर बंद कर उसकी चाबी मैनेजर को देकर चला जाएगा।

 

आईजी ने बताया कि पुलिस महिलाओं के लेकर मंदिर के प्रांगड़ तक पहुंच गई थी लेकिन पुजारी ने उनके लिए दरवाजे खोलने से इनकार कर दिया। हम महिलाओं को बाहर लेकर इंतजार कर रहे थे तभी पुजारी ने कहा कि अगर हम महिलाओं को प्रवेश दिलाने की कोशिश करेंगे तो वे मंदिर को बंद भी कर सकते हैं।

विभिन्न संगठनों ने परंपरा की दुहाई देते हुए महिलाओं से मंदिर में प्रवेश नहीं करने का आग्रह किया है। सबरीमाला के पुजारी परिवार के एक वरिष्ठ सदस्य ने 10 से 50 साल आयुवर्ग की महिलाओं के मंदिर में

प्रवेश पर रोक की परंपरा का सम्मान करने व महिलाओं से अयप्पा के मंदिर में न जाने का आग्रह किया। महिलाओं के प्रवेश पर रोक इसलिए है कि माना जाता है कि अयप्पा 'ब्रह्मचारी' थे।

भगवान अयप्पा का मंदिर बुधवार को शाम पांच बजे खोला गया परंपरा के अनुसार शुरुआत में पांच दिनों तक खोला जाता है। मंदिर अब 22 अक्टूबर तक खुला रहेगा।