केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार की कई योजनाओं की शुरूआत वैश्विक स्तर पर वाहवाही बटोर रही है। चाहे वो स्वच्छ भारत हो या स्वच्छ गंगा मिशन। फिलहाल वाराणसी और कोलकाता के बीच गंगा नदी पर जहाजों के ठहराव की शुरुआत के साथ भारत के अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र में आए बदलाव ने इसको लेकर वैश्विक रुचि जगी है और इसको अब प्रशंसा मिल रही है।

आईडब्लूएआई के उपाध्यक्ष प्रवीर पांडे को दो दिन पहले अमेरिका के प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में छात्रों और फैकल्टी को संबोधित किया है। इसमें पांडे ने गंगा पर जल मार्ग विकास परियोजना की सफलता के बारे में वहां के छात्रों को बताया।  संस्थान में पांडे को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था। गंगा पर चलाई जा रही परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए विश्व बैंक की मदद से 5369 करोड़ रुपये की कार्ययोजना संचालित की जा रही हैं। संस्थान में दिए गए प्रेजेंटेशन में इस योजना आने वाले समय में अवसर, चुनौतियों के बारे में बताया गया।

गौरतलब है कि 2018 को पीएम मोदी ने पदेश को 12 नवंबर, 2018 वाराणसी में गंगा पर बने भारत के पहले बहुविध टर्मिनल को राष्ट्र को समर्पित किया। उसी दिन, देश का पहला कंटेनर कार्गो को शुरू किया गया था। ये जल मार्ग कोलकाता से वाराणसी तक जाती है। इन दोनों कार्यक्रमों भारत में आईडब्ल्यूटी के विकास को चुना गया बल्कि राष्ट्रीय जलमार्ग पर व्यावसायिक गतिविधियों में तेजी के लिए कार्य किया गया। 

केंद्रीय वित्त मंत्री ने 2014-15 के अपने बजट भाषण में 10 जुलाई, 2014 को जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमपीपी) की घोषणा की थी। पिछले चार सालों में 2000 करोड़ रुपये की योजनाओं में काम चल रहा है। इस योजना के तहत गंगा नदी पर बनाए जा रहे तीन मल्टीमॉडल टर्मिनलों में से एक वाराणसी में पहले से ही चालू है जबकि दूसरा साहिबगंज (झारखंड) में इस साल के मध्य तक तैयार हो जाएगा।