मध्य प्रदेश की राजनीति में सिंधिया परिवार की धमक है। पिछली तीन पीढ़ीयों से इस परिवार का दखल है। देश की सत्ता पर काबिज दोनों राजनैतिक दल कांग्रेस और भाजपा में इस परिवार के सदस्य है। लेकिन तीसरी पीढ़ी के ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते हैं। लेकिन वह पिछले एक साल से पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। सिंधिया को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है।
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की पिछले एक साल से कांग्रेस से लगातार दूरी बढ़ती जा रही है। पिछले एक साल से वह हाशिए में हैं और पार्टी के खिलाफ बागी रुख अपनाए हुए है। हालात हैं ये हैं कि पार्टी उनकी बात को लगातार अनसुना कर रही हैं और राज्य में सीएम कमलनाथ को लगातार तवज्जो दी जा रही है। वहीं पिछले एक साल के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया भी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। जिसको देखकर लगता है कि आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश कांग्रेस में बड़ी उठापटक हो सकती है और पार्टी उनके खिलाफ ठोस कदम उठा सकती है।
मध्य प्रदेश की राजनीति में सिंधिया परिवार की धमक है। पिछली तीन पीढ़ीयों से इस परिवार का दखल है। देश की सत्ता पर काबिज दोनों राजनैतिक दल कांग्रेस और भाजपा में इस परिवार के सदस्य है। लेकिन तीसरी पीढ़ी के ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते हैं। लेकिन वह पिछले एक साल से पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। सिंधिया को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। लेकिन उसके बावजूद पिछले साल राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में उनके स्थान पर कमलनाथ को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया और जीत के बाद मुख्यमंत्री भी। इसके बाद सिंधिया को राज्य की राजनीती से बाहर कर दिया गया और उन्हें लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया गया।
यही नहीं लोकसभा चुनाव में सिंधिया गुना से चुनाव लड़े और उनकी पत्नी ग्वालियर से चुनाव लड़ी। इन दोनों को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। हालांकि कहा जाता है कि सिंधिया के विरोधी गुट ने उनके खिलाफ प्रचार किया। जिसके कारण उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अब सिंधिया लगातार पार्टी के स्टैंड के खिलाफ अपनी राय जगजाहिर कर रहे हैं। जिसको देखते हुए लगता है कि आने वाले समय में मध्य प्रदेश की राजनीति में बड़ी उठापटक हो सकती है।
क्योंकि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह गुट उन्हें बागी घोषित करने में लगा है और अगर पार्टी ने उनके खिलाफ कार्यवाही की तो अचरज नहीं होगा। हालांकि सिंधिया खुद को शहीद करने की कोशिश में लगे हैं। पिछले दिनों जब कमलनाथ और सिंधिया के बीच विवाद चल रहा था तब सोनिया गांधी ने दोनों को दिल्ली तलब किया था लेकिन सोनिया ने सिर्फ कमलनाथ से मुलाकात की और सिंधिया सोनिया के बुलावे का इंतजार करते रहे।
अनुच्छेद 370 के पक्ष में किया केन्द्र सरकार का समर्थन
सिंधिया ने अगस्त में केन्द्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से 370 हटाए जाने का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि केन्द्र सरकार का ये कदम देश में है। जबकि कांग्रेस लगाता इसका विरोध कर रही थी। सिंधिया के इस बयान के बाद पार्टी के कई नेताओं ने उनके बयान का समर्थन किया था।
कमलनाथ सरकार की किसान कर्ज माफी पर की आलोलना
ज्योतिरादित्य सिंधिया और मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ का छत्तीस का आंकड़ा है। लिहाजा राज्य में कमलनाथ सरकार द्वारा शुरू की गई कर्ज माफी पर राज्य सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान पार्टी ने जो वादा किया था उसे पार्टी ने पूरा नहीं किया है। जबकि चुनाव में राहुल गांधी ने इस योजना का ऐलान किया था।
नागरिकता संशोधन पर केन्द्र सरकार का समर्थन
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने केन्द्र सरकार के नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करते हुए कहा कि ये देश के हित में है। उन्होंने सोशल मीडिया में ट्वीट कर कहा कि वह नहीं जानते हैं कि ये संविधान के विपरीत है या नहीं लेकिन ये भारत की वसुधैव कुटुंबकम की विचारधारा और सभ्यता से मेल खाता है।
सोशल मीडिया एकाउंट से हटाया कांग्रेस का नाम
पिछले दिनों सिंधिया ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट के बायो प्रोफाइल से कांग्रेस को हटा दिया था। जिसके बाद माना जा रहा कि इसके जरिए उन्होंने पार्टी नेतृत्व को इसके जरिए संदेश देने की कोशिश की है।
Last Updated Dec 13, 2019, 11:02 AM IST