पाकिस्तान को 22वीं बार आईएफएफ से कर्जा मिल रहा है। लेकिन इस कर्ज के साथ ही पाकिस्तान को कई तरह की मुश्किलें भी साथ में मिल रही हैं। कर्ज मिलने की खबरों के कारण एक तो पाकिस्तान का शेयर बाजार लगातार नीचे आ रहा है। वहीं डालर के मुकाबले पाकिस्तानी मुद्रा की साख भी गिर रही है। पिछले कुछ दिनों के दौरान पाकिस्तान रुपये गिरकर करीब 150 रुपये प्रति डालर पर आ चुका है। यही नहीं पाकिस्तान की समस्या वहां की महंगाई है। जिसको कंट्रोल करने में अभी तक इमरान सरकार विफल रही है।
कंगाली की कगार पर खड़ा और आर्थिक तौर कमजोर हो रहे पाकिस्तान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पूरे विश्व में आंतकी निर्यात करने वाले देश के तौर पर बदनाम हो चुके पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज तो मिल रहा है। लेकिन इसके कारण पाकिस्तान में बेरोजगारी का संकट बढ़ रहा है। जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान को कर्ज मिलने के बाद करीब दस लाख लोगों को नौकरी से हाथ थोड़ा पड़ेगा। जबकि दस लाख से ज्यादा लोग गरीबी की रेखा से नीचे आ जाएंगे।
पाकिस्तान को 22वीं बार आईएफएफ से कर्जा मिल रहा है। लेकिन इस कर्ज के साथ ही पाकिस्तान को कई तरह की मुश्किलें भी साथ में मिल रही हैं। कर्ज मिलने की खबरों के कारण एक तो पाकिस्तान का शेयर बाजार लगातार नीचे आ रहा है। वहीं डालर के मुकाबले पाकिस्तानी मुद्रा की साख भी गिर रही है। पिछले कुछ दिनों के दौरान पाकिस्तान रुपये गिरकर करीब 150 रुपये प्रति डालर पर आ चुका है। यही नहीं पाकिस्तान की समस्या वहां की महंगाई है।
जिसको कंट्रोल करने में अभी तक इमरान सरकार विफल रही है। मंहगाई बढ़ने का सबसे बड़ा कारण आईएमएफ से कर्ज मिलना है। आर्थिक जानकारों के मुताबिक कर्ज मिलने के बाद पाकिस्तान में और ज्यादा महंगाई बढ़ेगी। लेकिन अब पाकिस्तान के आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान को कर्ज मिलने के बाद वहां पर बेरोजगारी भी बेतहाशा बढ़ेगी। जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान में करीबी 10 लाख लोग बेरोजगार होंगे।
क्योंकि पाकिस्तान सरकार द्वारा उद्योगों को दी जा रही कई रियायतों को वापस लेना होगा। जिसमें खासतौर से टैक्ट छूट है। जिसका सीधा असर वहां के उद्योग धंधों पर पड़ेगा। आर्थिक जानकारों का कहना है कि अगले तीन साल के दौरान दस लाख लोगों के बेरोजगार होने के साथ ही दस लाख से ज्यादा लोग गरीबी की रेखा से नीच जाएंगे। जबकि पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने अपने पांच साल के कार्यकाल में दस लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था।
आईएमएफ से कर्ज मिलने के बाद 2022 के अंत तक पाकिस्तान को उसकी शर्तों के अनुकूल काम करना होगा और इमरान सरकार का कार्यकाल अगस्त 2023 को खत्म हो रहा है। बहरहाल पाकिस्तान को आईएमएफ करीब 8 बिलियन डालर का कर्ज दे रहा है। अगर देखें पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन कमजोर होती जा रही है।
आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल के दौरान प्रति व्यक्ति आय में 8 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। वहीं पाकिस्तान की जीडीपी घटकर 280 बिलियन डालर की रह गयी है जबकि पिछले साल ये 313 बिलियन डालर थी। वहीं जीडीपी की विकास दर इस साल 3.29 फीसदी है जबकि सरकार ने 6.2 का लक्ष्य रखा है।
Last Updated May 20, 2019, 2:41 PM IST