संयुक्त राष्ट्र ने पुलवामा हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र में अब तक मसूद अजहर की ढाल बने चीन ने आखिरकार अपने कदम पीछे खींच लिए और इस मामले में लगाई तकनीकी रोक को वापस ले लिया। इसे भारत के साथ-साथ अमेरिका और रूस के सामूहिक दबाव का नतीजा माना जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने यह जानकारी दी। 

उन्होंने ट्वीट किया, 'बड़े, छोटे सभी साथ आए। मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित आतंकियों की सूची में डाला गया। सभी के समर्थन का शुक्रिया।'

इस बैन के बाद मसूद अजहर किसी देश में नहीं जा सकेगा। उसके विदेश में संपत्ति खरीदने-बेचने पर भी रोक होगी। उसका संगठन किसी भी तरह से धन नहीं जुटा सकेगा। मसूद अजहर पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगने से पाकिस्तान की काफी किरकिरी हुई है। पाकिस्तान सरकार लगातार चीन की मदद से इस प्रक्रिया को रोकने की कोशिश में थी।

दरअसल, पहली मई को संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर पर होने वाली सुनवाई से पहले चीन ने कह दिया था कि यह मामला 'उचित तरीके से हल' होगा। चीन ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात के बाद यह बात कही थी। चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने कहा था कि 'मेरा मानना है कि यह मुद्दा उचित तरीके से हल हो जाएगा।' चीन ने मसूद अजहर पर अंतरराष्ट्रीय बैन की कोशिशों को मार्च में तकनीकी आधार पर रोक दिया था। 

चीन ने मसूद के मामले में नरमी दिखाते हुए कहा, 'हम इस पर कई बार अपनी स्थिति साफ कर चुके हैं।' जेंग शुआंग ने कहा था, 'मैं सिर्फ दो बिंदुओं पर जोर देना चाहता हूं। पहला यह कि इस पर अधिकतम सदस्यों की सहमति और संवाद के साथ ही आगे बढ़ा जा सकता है।' दूसरा, इस मसले को लेकर बातचीत चल रही है और कुछ प्रगति हुई है। हमें विश्वास है कि सभी पक्षों की सहमति से इस पर आगे बढ़ा जा सकता है। 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध कमेटी में फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका अजहर पर प्रतिबंध लगाने के लिए नया प्रस्ताव लेकर आए थे। चीन ने इस प्रस्ताव पर 'तकनीकी रोक' लगा दी थी। इसके बाद अमेरिका ब्रिटेन और फ्रांस के समर्थन से सीधे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अजहर को काली सूची में डालने के लिए प्रस्ताव लेकर आया। मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति में 4 कोशिशें हो चुकी थीं। चीन ने इनमें से तीन पर सीधे रोक लगाई जबकि पुलवामा हमले के बाद हुई चौथी कोशिश को तकनीकी आधार पर रोक दिया था। लेकिन अब उसने यह रोक हटा दी।