नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को अवैध खनन मामले में पूछताछ के लिए सीबीआई ने गवाह के तौर पर बुलाया है। इसके लिए उन्हें नोटिस भेजी गई है। केंद्रीय जांच एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री से 29 फरवरी को पूछताछ के लिए तलब किया गया है। सपा के सत्ता में रहते हुए अखिलेश यादव के पास 2012 से जून 2013 के बीच खनन विभाग था।

हाईकोर्ट के आदेश पर वर्ष 2016 से चल रही है अवैध खनन की जांच
उत्तर प्रदेश के सात जिलों शामली, कौशांबी, फतेहपुर, देवरिया, सहारनपुर, हमीरपुर और सिद्धार्थनगर से अवैध खनन के मामले सामने आए। यह आरोप लगाया गया है कि सरकारी अधिकारियों ने वर्ष 2012 और 2016 के बीच नियमों और विनियमों का उल्लंघन करके कुछ अवैध खनन स्थलों का आवंटन किया था। सीबीआई ने कहा कि एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन करते हुए खनन अधिकार भी दिए गए थे। वर्ष 2016 से खनन घोटाले की जांच चल रही है। हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच का आदेश दिया था।

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नोटिस से गरमाई सियासत
लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले सीबीआई के समन को राजनीतिक नजरिए से भी देखा जा रहा है। ऐसे में मामले के गरमाने की आशंका है। अखिलेश यादव इससे पहले भी मोदी सरकार पर सीबीआई और ईडी के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाते रहे है। अखिलेश यादव ने समन का खुलासा खुद एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में किया। अखिलेश यादव ने कहा कि पिछले चुनाव से पहले भी एक नोटिस आया था और इस चुनाव में भी एक नोटिस आया है।

लंबे समय से जेल में है सपा सरकार के मंत्री 
अखिलेश सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति पर भी कई तरह के आरोप लगे थे। लंबे समय से वह जेल में हैं। उनके चुनाव नहीं लड़ने की स्थिति में सपा ने उनकी पत्नी को टिकट दिया और विधायक भी बनी हैं। सोमवार को हुए राज्यसभा चुनाव में मतदान से ठीक पहले वह गैरहाजिर भी रहीं। इसे एक तरह से भाजपा की मदद के रूप में देखा जा रहा है।

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