अब तेजस्वी कांग्रेस को राज्य में ज्यादा सीटें देने के पक्ष में नहीं हैं. जबकि वह सपा और बसपा को भी इस गठबंधन में शामिल करना चाहते हैं. अगर ऐसा होता है तो भले ही सपा प्रत्याशी जीत न पाए लेकिन उनका वोट बैंक राजद की तरफ चला जाएगा.
उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के गठबंधन बन जाने के बाद यूपीए महागठबंधन बिखर रहा है. जबकि अब यूपीए महागठबंधन बिहार में बनने से पहले दरकने लगा है. हालांकि अभी तक बिहार में यूपीए घटक दलों में सीटों का बंटवारा भी नहीं हो पाया है तो कांग्रेस को आरजेडी का आर्थिक आधार पर आरक्षण का विरोध पसंद नहीं आया. लिहाजा दोनों दलों के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं.
असल में कुछ दिन पहले राजद नेता तेजस्वी यादव ने यूपी मे बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद तेजस्वी यादव ने राज्य में लोकसभा चुनाव के बाद उभरने वाले राजनैतिक समीकरणों का नफा नुकसान का गणित लगाना शुरू कर दिया. असल में अगर केन्द्र में भाजपा सरकार नहीं बनाती है तो कई लोग प्रधानमंत्री के दावेदार होंगे और जिसकी जितनी सीटें होगी वह उतना ही बड़ा पद का हकदार बनेगा. लिहाजा अब तेजस्वी कांग्रेस को राज्य में ज्यादा सीटें देने के पक्ष में नहीं हैं. जबकि वह सपा और बसपा को भी इस गठबंधन में शामिल करना चाहते हैं. अगर ऐसा होता है तो भले ही सपा प्रत्याशी जीत न पाए लेकिन उनका वोट बैंक राजद की तरफ चला जाएगा.
इसके साथ ही राजद ने सवर्ण आरक्षण का विरोध कर कांग्रेस की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं. वहीं कुछ दिन पहले दबंग नेता अनंत सिंह ने खुद को मुंगेर सीट से कांग्रेस का प्रत्याशी बताकर होर्डिंग लगवा दिए. जबकि इस सीट पर कोई प्रत्याशी तय नहीं हुआ था हालांकि राजद के दबाव के बाद कांग्रेस को कहना पड़ा कि उसने अभी उम्मीदवार तय नहीं किए हैं. ऐसा माना जा रहा है कि आम चुनाव से पहले बिहार की 40 सीटों का बंटवारा गंभीर समस्या का रूप लेता जा रहा है. कांग्रेस कभी आरजेडी विरोधी रहे नेताओं को अपने पाले में लाना चाहती है और जिसमें से ज्यादा सवर्ण नेता हैं. लिहाजा आरक्षण का विरोध कर कांग्रेस को सीधे तौर पर नुकसान हो सकता है.
कांग्रेस की नजर बीजेपी के बागी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद, उदय सिंह, मोकामा से निर्दल विधायक अनंत सिंह, लवली आनंद और रमा सिंह पर है. अगर पार्टी इन्हें टिकट देती हैं तो उसका सीधा लाभ मिल सकता है. हालांकि कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि सीटों के बंटवारे पर कोई फैसला नहीं हुआ है और आगामी तीन फरवरी को पटना में राहुल गांधी की रैली के बाद ही आगे की दिशा तय होगी. ऐसा माना जा रहा है कि इस रैली में भाजपा के बागी नेता भी शामिल होंगे. जबकि ये नेता दो दिन पहले कोलकाता में ममता बनर्जी की रैली में शामिल हुए थे.
Last Updated Jan 21, 2019, 10:14 AM IST