सुप्रीम कोर्ट ने आगामी विधानसभा और लोकसभा के चुनाव ईवीएम की बजाए बैलट पेपर से कराए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया है। याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुये कहा कि क्या बैलट पेपर के इस्तेमाल से सारी दिक्कतें रुक जाएगी। जिस सिस्टम को भी इंसान चलाते हो वैसे किसी भी सिस्टम में दिक्कत आ सकती है।

यह याचिका न्यायभूमि की ओर से दायर की गई थी।जिसमे आगामी विधानसभा और लोकसभा का चुनाव बैलेट पेपर से करने की मांग की गई थी। इससे पहले कांग्रेस सहित 70 फीसदी राजनीतिक दल बैलेट पेपर से चुनाव कराने का समर्थन कर चुके हैं। उन पार्टियों के मुताबिक बैलेट पेपर से चुनाव कराने से खर्च कम आयेगा। 

जबकि चुनाव आयोग के मुताबिक ईवीएम के किसी भी संभावित दुरुपयोग को रोकने के लिये सुरक्षा प्रोटोकॉल, प्रक्रियागत पड़ताल और व्यवस्था का एक विस्तृत ढांचा तैयार किया जा चुका है। 

भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त पहले ही साफ कर चुके है कि उनको अगला लोकसभा और विधान सभा चुनाव को देखते हुए 40 लाख वीवीपैट महीने व ईवीएम जल्द मिलने की उम्मीद है। क्योंकि सरकार ने कुछ माह पहले इसके लिए 5000 करोड़ रुपये मंजूर किया था।

गौरतलब है कि वीवीपैट मशीन में एक पर्ची निकलती है जिस पर उस प्रत्याशी का नाम व उसका चुनाव चिन्ह होता है जिसके पक्ष में वोट दिया गया है। यह एक पारदर्शी खिड़की के जरिए मतदाता की निगाहों के सामने सात सेकेंड तक रहती है। इतना ही नही वीवीपैट (वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) मशीन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से जुड़ी होती हैं। जिसमें एक मतदाता द्वारा मतदान करने पर उम्मीदवार का नाम व जिस पार्टी के पक्ष में उसने वोट डाला है उसके चुनाव चिन्ह की पर्ची आती है। 

सरकार के स्वामित्व वाले भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड व इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड इन 40 लाख वीवीपैट व ईवीएम की आपूर्ति करने जा रहा है। दोनों कंपनी पिछले 20 साल से चुनाव आयोग के लिए ईवीएम बना रहे है। चुनाव आयोग के मुताबिक वीवीपैट के साथ ईवीएम बैटरी स्वचालित मशीन होती है, जो मोबाइल या इंटरनेट से नहीं जुड़ी होती है। इसे बाहर से या रिमोट के जरिये नियंत्रित नही किया जा सकता है।