अंतरिक्ष में भारत के एंटी सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण की खोजबीन के बाद अमेरिकी कार्यकारी रक्षा मंत्री पैट्रिक शनाहन ने पहली अहम प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उनका मानना है कि स्पेस में भारतीय मिसाइल टेस्ट से मलबे का कोई खतरा नहीं है। अंतरिक्ष में किए गए मिसाइल विस्फोट के बाद अमेरिकी अंतरिक्ष विभाग नासा ने अपनी पूरी क्षमता के साथ अंतरिक्ष में विस्फोट के मलबे को समझते हुए अमेरिकी सरकार को आश्वस्त किया है कि दुनिया पर इससे कोई खतरा नहीं है।

इससे पहले भारतीय परीक्षण के बाद जहां पैट्रिक शनाहन ने दुनियाभर के देशों को चेतावनी देते हुए कहा था कि सभी देश भारत जैसे एंटी सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण से बचें। गौरतलब है कि यह परीक्षण कर भारत दुनिया के उन चार देशों में शुमार हो चुका है जिसके पास अंतरिक्ष से आने वाले किसी खतरे से निपटने की छमता मौजूद है।

अंतरिक्ष में इस परीक्षण के बाद जहां दक्षिण एशिया में भारत के परीक्षण से पाकिस्तान और चीन सकते में हैं वहीं राष्ट्रीय स्तर पर भी विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ दल की आलोचना शुरू कर दी है। इसके चलते गुरुवार को अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ नेताओं को स्पेस में हुआ मिसाइल टेस्ट नाटक लग रहा है।

भारत के इस परीक्षण पर अमेरिकी रक्षा मंत्री पैट्रिक शनाहन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मिसाइल विस्फोट से अंतरिक्ष में पैदा हुआ मलबा अपने आप कुछ दिनों में जलकर खाक हो जाएगा। लिहाजा अमेरिका को पूरी उम्मीद है कि इस विस्फोट से अंतरिक्ष में किसी अन्य देश की सैटेलाइट को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा।

खास बात है कि भारत के शीर्ष वैज्ञानिकों से बातचीत में रायटर ने दावा किया है कि भारतीय वैज्ञानिकों का मानना है कि इस परीक्षण को इस तरह किया गया है कि अगले 45 दिनों के अंदर अंतरिक्ष में पैदा हुआ विस्फोट का मलबा जलकर पूरी तरह से भस्म बन जाएगा। हालांकि रायटर के इस दावे पर अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि उन्हें यह स्पष्ट नहीं है कि इस मलबे को अपने आप खत्म होने में कितने दिन लगेंगे।

भारत ने इस हफ्ते 27 मार्च को स्पेस में ऑपरेशन शक्ति को अंजान देते हुए अपनी एक सैटेलाइट को इंटर कॉन्टिनेंटल मिसाइल से मार गिराया था। भारत ने पृथ्वी से 300 किलोमीटर की दूरी पर सैटेलाइट को निशाना बनाया और भारतीय वैज्ञानिकों ने इस परीक्षण को इतनी जिम्मेदारी से पूरा किया जिससे इसका कोई नुकसान अंतरिक्ष में शांति और व्यवस्था को न पहुंचे। वहीं 2007 में चीन ने अपने एक सैटेलाइट को 800 किलोमीटर की उंचाई पर मारने का काम किया था। लेकिन उसके परीक्षण में बड़ी मात्रा में मलबा आंतरिक्ष में रह गया और पृथ्वी का चक्कर काट रहा है।