गाजीपुर। नंदू पासवान के सामने दुविधा और दुख का ऐसा पहाड़ खड़ा था कि उसे पार करना उसके लिए आसमान में लकीर खींचने के समान लग रहा था। उसकी आंखों के सामने एक तरफ जिंदा जलकर कंकाल बन चुके 5-5 लोगों के बिलखते परिवार थे, तो दूसरी तरफ अस्पताल में जीवन और मौत के बीच जूझ रहे वो 10 लोग थे, जो उसकी बेटी की शादी के साक्षी बनने के लिए घर से निकले थे। उनका और उनके परिवार की अथाह पीड़ा थी। इन सबके बीच नंदू को अपनी बेटी खुशबू के भविष्य की चिंता सता रही थी। करीब एक घंटे के मंथन के बाद एक पिता के रूप में नंदू ने जो निर्णय लिया और बेटी को यह कह कर आगे बढ़ने को कहा कि बेटा जो समय, संयोग है, उसे निभाने दो। पिता के इस वाक्य को गांठ बांधकर खुशबू भी आगे बढ़ी। और आखिरकार गमगीन माहौल में ही सही वह शादी के बंधन में बंध गई।

 

हंसी ठिठोली के बीच महज 45 मिनट में  तय हुआ सफर
हम बात कर रहे हैं गाजीपुर के महाहर धाम के समीप 11 अप्रैल को बर्निंग बस वाली घटना की। मऊ जनपद के रानीपुर थानान्तर्गत खिरिया गांव निवासी नंनूद पासवान की बेटी खुशबू पासवान की शादी गाजीपुर जनपद के महाहर थाना अंतर्गत महाहर धाम मंदिर से होनी थी। नंदू की बड़ी बेटी रेखा ने बताया कि 11 मार्च को दोपहर 12.30 बजे  गांव से एक मिनी बस में करीब 50 लोग सवार होकर मंदिर के लिए निकले थे।

 

शादी से एक रात पहले भोज भात में शामिल हुए थे 11 परिवार के 50 लोग
शादी की एक रात पहले नंदू के घर पर भोज भात का कार्यक्रम हुआ था। जिसमें 11 परिवारों के करीब 50 लोगों को निमंत्रण दिया था। नंदू की बड़ी बेटी रेखा ने बताया कि सोमवार को सब गाते बजाते जा रहे थे। गांव की किसी लड़की की शादी घर से दूर मंदिर से होने की पहली घटना थी। उसमें एक ट्विस्ट ये भी था कि पहले बार लड़के वाले लड़की वालों की अगवानी करने वाले थे। बस में सवार सभी लोग मगन थे।करीब  45 मिनट का सफर कैसे कट गया, पता ही नहीं चला। बस कंडक्टर ने करीब 1.15 बजे बताया कि महाहर धाम आ गए।

 

पुलिस ने बस वापस की तो धाम गेट पर  पिता व कुछ रिश्तेदारों संग उतर गई थी दूल्हन
धाम गेट पर बस रुकी लेकिन पुलिस ने बस अंदर नहीं जाने दिया। मंदिर तक पहुंचने के लिए बस को कच्चे रास्ते से भेज दिया गया। उसी वक्त गेट पर ही खुशबू, नंदू और गांव के कई और लोग बस से उतर गए। नंदू ने कहा कि कुछ रिश्तेदार मंदिर पहुंच चुके हैं। इसिलए वह पैदल ही वहां चल रहे हैं। दूल्हन खुशबू को लेकर सभी लोग पैदल ही मंदिर की तरफ बढ़ गए। किसी ने नहीं सोचा था कि विवाह जैसे खुशी के पल का साक्षी बनने की इनमें से 15 लोगों की ललक अधूर रह जाएगी।  क्याेंकि काल आगे उनका इंतजार कर रहा है। बिन सोची घटना के बारे में जिसने भी सुना उसका कलेजा अंदर तक दहल गया।

 

आग बुझी तो 5 लोगों के सिर्फ कंकाल दिखे, पहचानना हो गया था मुश्किल
महाहर मंदिर से महज 500 मीटर पहले हाईटेंशन तार की चपेट में आने से बस में आग लग गई। जिस बस के अंदर से मंगल गीत की आवाजे आ रहीं थीं, उसी से मातमी चीत्कारे उठने लगीं। बस के साथ -साथ उसमें बैठे लोग भी आग का गोला बन गए। अधिकांश ने कूद फांद कर अपनी जान तो बचा ली।लेकिन 5 लोग ऐसे भी थे, जो उसी में जलकर खाक हो गए। आग की लपटें जब बुझीं तो बस की तरह उनके शरीर के सिर्फ कंकाल ही देखने को मिले। जिससे उनकी  पहचान करना भी मुश्किल हो रहा था। लोगों का कहना है कि करीब 3 घंटे तक बस में फंसे लोग झुलसते रहे। पुलिस प्रशासन एवं फायर ब्रिगेड की टीम राहत एवं बचाव कार्य में लगी थी। इस भयावह हादसे का  जिम्मेदार पुलिस और बिजली विभाग को मान रहे ग्रामीणों ने पुलिस टीम पर पथराव किया था। जिसमें कई पुलिस वाले घायल हो गए थे। 

 

लड़के पक्ष ने कहा शादी का मुहूर्त निकला जा रहा है, तो चौंके दूल्हन के पिता
इसी बीच लड़के वालों ने लड़की के पिता नंदू को टोका कि शादी का मुहूर्त 3 बजे है। आगे क्या करना है। अगर निर्णय नहीं हुआ तो मुहूर्त निकल जाएगा। नंदू ने खुशबू से पूछा, लेकिन वह भी कुछ नहीं बोल पा रही थी।  जिस अग्नि को साक्षी मानकर वह अपने जीवन साथी के साथ सात फेरे लेने वाली थी, उसी आग में उसके अपने 5-5 लोग जिंदा जलकर खाक जो हो चुके थे। कुछ देर के बाद खुशबू ने कहा कि इस दुख की घड़ी में वह शादी नहीं करेगी और अपने पिता से लिपट कर बिलख पड़ी।

 

दिल पत्थर करके शादी को मना कर रही बेटी को पिता ने मनाया 
लड़की के पिता नंदू के सामने विकट स्थिति थी। अगर वह बिना शादी के सबको लौटा देता तो कल समाज यह कहता कि उसकी बेटी की शादी की वजह से इतना बड़ा हादसा हो गया है। यह बड़ी अपशकुनी है। जिससे बाद में बेटी की शादी करने में भी दिक्कत होगी। अपने दिल को पत्थर करके उसने बेटी खुशबू को समझाया  कि बेटा अगर आज शादी नहीं हुई ताे कल बहुत दिक्कत होगी। इसलिए शादी आज ही होगी। अगर आज तुमने शादी से इनकार किया तो कल इसी समाज के लोग तुम्हे अपशकुनी कहकर तुम्हारा जीना मुहाल कर देंगे। दोबारा रिश्ता होने में अड़चन पैदा करेंगे। इसलिए मेरी बात मान लाे। पिता की बात खुशबू ने मानी। लड़के वाले पहले से ही तैयार थे। सभी ने कहा जो होना था हो गया। ऐसे में शादी रोकना उचित नहीं होगा। 

 

20 मिनट में पूरी की गई शादी की रश्म
आखिरकार खुशबू , दूल्हा और उसके घर के बगल के 4 लोग पास के ही भैरवनाथ मंंदिर गए। वहां 15 से 20 मिनट में शादी की रश्म पूरी की गई। सिंदूरदान करके नंदू ने डबडबाई आंखों, भीचें होठ और कपकपाते हाथों से बेटी खुशबू को विदा कर दिया। इस आग में शादी के लिए बनवाए गए सोने चांदी के जेवर, नकदी, बर्तन, कपड़े समेत अन्य सामान जलकर खाक हो गए। खुशबू गम में डूबे मायके को छोड़कर ससुराल पहुंची। जहां उसने रुधे गले, थके शरीर और गमगीन मन के साथ विवाह की बाकी रश्मे अदा की। नंदू के निर्णय की सभी ने सराहना की।