लखीमपुर। एक तरफ जहां हाईटेक होती दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के दौर में पहुंच चुकी है तो वहीं दूसरी तरफ अंधविश्वास आज भी लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। अंधविश्वास की एक ऐसी ही दिल को दहला देने वाली घटना उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले से सामने आई है। जहां एक पुजारी ने देवी जी को प्रसाद के रूप में अपनी जबान (जीभ) ही काट कर चढ़ा दिया। हालत बिगड़ने पर परिवार के लोग उसे अस्पताल ले गए।

दोपहर में किया मां दुर्गा का पूजन, हवन का अनुष्ठान
लखीमपुर जिले के गुलेरी पुरवा गांव में मां राजराजेश्वरी का एक प्राचीन देवी मंदिर है। जहां पर बाबा रामसनेही दास (58) देवी मां समेत अन्य देवी देवताओं के विग्रह की पूजा आरती करते हैं। हर दिन की तरह रविवार को भी उन्होंने देवी मां की मूर्ति के सामने बैठकर पूजा की। दोपहर में करीब 1:00 बजे पूजन हवन खत्म किया। 

 

अमावस्या का विशेष अनुष्ठान बताकर भक्तों को कर दिया था बाहर
वहां बैठे भक्तों को बाबा ने यह कह कर बाहर कर दिया कि अमावस्या पर विशेष अनुष्ठान चल रहा है। लोगों ने बताया कि जब लोग बाहर निकल गए तो बाबा ने  देवी प्रतिमा के सामने बैठकर मुंह खोला और एक हाथ में रुमाल लेकर अपनी जीभ बाहर खींच ली। दूसरे हाथ से ब्लेड उठाया और एक ही झटके में अपनी जीभ काटकर देवी के चरणों में अर्पित कर दिया। 

मंदिर के अंदर बेहोश पड़े मिले, देवी मूर्ति पर पड़ी थी कटी जीभ
कुछ देर बाद लोग मंदिर में दर्शन करने पहुंचे तो बाबा वहां खून से सने हुए बेहोश पड़े मिले। देवी मां की मूर्ति के सामने उनकी कटी जीभ पड़ी थी। यह देख लोग माजरा समझ गए। लोगों ने बाहर निकाल कर गांव वालों को सूचना दी। पता चलने पर उनकी पत्नी, बेटे और परिवार के अन्य लोग भी मंदिर में पहुंच गए। गांव के सैकड़ो लोगों का मजमा लग गया।

सीएचसी से डिस्ट्रिक हॉस्पिटल किया गया रेफर
सूचना मिलने पर थाना प्रभारी सुरेश मिश्रा और एसआई दुर्गेश शर्मा भी मंदिर पहुंचे। उसके बाद गांव वाले, घरवालों के साथ बाबा रामसनेही दास और उनकी कटी जीभ को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र निघासन पहुंचे। जहां प्राथमिक उपचार के बाद बाबा को लखीमपुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। सीएचसी प्रभारी डॉ. पीके रावत ने बताया समय ज्यादा बीत जाने की वजह से बाबा का खून ज्यादा बह गया था। इसलिए स्थिति गंभीर है।

34 साल से दूध और फल पर जिंदा है बाबा रामसनेही दास
ग्रामीणों ने बताया कि गुलेरी पुरवा मंदिर के पुजारी और संस्थापक रामसनेही दास ने वर्ष 1990 में छोटे से देवी मंदिर की जगह पर एक बड़ा मंदिर बनवाया था। इसके बाद उन्होंने पंचमुखी हनुमान और जमीन को  क्षीरसागर जैसा करके उसमें भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कराई। बाबा के तीन बेटे और पत्नी है। उन्होंने वर्ष 1990 से अन्य का त्याग कर दिया था। वह दूध और फल ही ग्रहण करते है।

बेटे ने कहा मनोकामना पूर्ण होने पर जुबान काटकर देवी मां को चढ़ाया
उनके बड़े बेटे दुर्गेश कुमार ने बताया कि बाबा की कोई मनोकामना पूरी हो गई थी। जिसे उन्होंने घरवालों को नहीं बताया था। उसी में उन्होंने अपनी जुबान काटकर देवी मां को चढ़ा दी है। 

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