उत्तर पश्चिम के गढ़वाल-कुमाऊं मंडल में एक बड़ा भूकंप आ सकता है। वैज्ञानिकों ने इसके लिए गंभीर चेतावनी जारी की है। 27 साल पहले उत्तरकाशी में 6.8 रिक्टर स्केल भूकंप से भीषण तबाही हुई थी। लेकिन इस बार का भूकंप 8.7 रिक्टर या इससे भी ज्यादा हो सकता है।
उत्तराखंड राज्य पर भीषण भूकंप का खतरा मंडरा रहा है। यह भूकंप उत्तर-पश्चिम हिमालय के गढ़वाल-कुमाऊं खंड में आने की आशंका है। एक अमेरिकी भूगर्भ विज्ञानी का दावा है कि इस क्षेत्र में भूकंप की तीव्रता 8.7 से अधिक हो सकती है।
इस हिमालय क्षेत्र में वैज्ञानिकों ने उच्च तीव्रता के भूकंप के बारे में चेतावनी जारी कर दी है। इस क्षेत्र में 8.5 या उससे अधिक तीव्रता का भूकंप लंबे समय से नहीं आया है। इसलिए इस क्षेत्र में भूकंप कभी आ सकता है।
'जियोलॉजिकल जर्नल' में प्रकाशित एक रिसर्च में कहा गया है कि दो नए तलाश किए गए स्थानों के आंकड़ों के साथ-साथ पश्चिमी नेपाल और चोरगेलिया में मोहन खोला के आंकड़ों के साथ मौजूदा डेटाबेस का मूल्यांकन किया गया। यह दोनों क्षेत्र भारतीय सीमा के अंदर आते हैं।
शोधकर्ताओं ने तथ्यों के निर्धारण के लिए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के कार्टोसैट -1 उपग्रह से गूगल अर्थ और इमेजरी का उपयोग करने के अलावा भूगर्भीय सर्वेक्षण के भारत द्वारा प्रकाशित स्थानीय भूविज्ञान और संरचनात्मक मानचित्र का उपयोग किया है।
एकत्रित किए गए डाटा के विश्लेषण में कहा गया है कि " यह अध्ययन हमें यह निष्कर्ष निकालने के लिए मजबूर करता है कि केंद्रीय हिमालय की प्लेट के 15 मीटर औसत सरकने के कारण 1315 और 1440 के बीच खिंचाव 8.5 या उससे अधिक तीव्रता का एक बड़ा भूकंप क्षेत्र लगभग 600 किमी (भटपुर से मोहन खोला के बीच की लंबाई ) तक फैला हो सकता है।''
ताजा अध्ययन यह भी बताता है कि केंद्रीय हिमालय (भारत और पूर्वी नेपाल के हिस्सों को कवर करने) में अग्रभाग में धमाके के साथ ध्वंस वाला भूकंप वाला जोन 600 से 700 वर्षों तक के लिए रहा है। जो कि इस क्षेत्र में धरती के अंदर भारी तनाव का निर्मित करता है।
विशेषज्ञों ने बताया कि हिमालय के इस हिस्से में 8.5 या उससे अधिक तीव्रता का भूकंप आए काफी समय बीत चुका है। इस संभावित उच्च भूकंपीय जोखिम क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए बढ़ती हुई आबादी और अनियंत्रित विस्तार के लिए चिह्नित किए गए क्षेत्रों ज्यादा तबाही की आशंका है। पर्यावरणीय रुप से संवदेनशील इस क्षेत्र में खराब तैयारी के जरिए कम समय में कई बड़े निर्माण कार्य किए गए हैं।
वैज्ञानिकों ने बताया है कि अध्ययन में 36 ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) स्टेशनों के नेटवर्क से डाटा का विश्लेषण किया और आईएसएआरएआर (इंटरफेरमेट्रिक सिंथेटिक एपर्चर रडॉर) नामक एक भूगर्भीय विधि का उपयोग किया गया है। केंद्रीय हिमालय में एक उच्च तीव्रता का भूकंप 2015 में नेपाल क्षेत्र में आए भूकंप (7.8) जैसा हो सकता है। यह भूकंप 8.1 की शक्ति का था और इसमें 8 हजार लोगों की मौत हुई थी।
यह रिसर्च बेंगलुरू जवाहरलाल नेहरू सेंटर में किया गया जिसके विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में भारी मात्रा में जमा हो रहा तनाव भविष्य में केंद्रीय हिमालय के अतिव्यापी क्षेत्र में 8.5 या उससे अधिक की तीव्रता का एक भूकंप की आशंका पैदा करता है।
हिमालयी क्षेत्र में भूकंप के बारे में वर्षों का आंकड़ा सुरक्षित रखने वाले कोलोराडो विश्वविद्यालय के अमेरिकी भूगर्भ विज्ञानियों ने भी भारतीय शोधकर्ताओं के निष्कर्षों का समर्थन किया है।
अमेरिकी विश्वविद्यालय से भेजे गए एक ईमेल में कहा गया है कि ‘भारतीय शोधकर्ता यह निष्कर्ष निकालने में निर्विवाद रूप से सही हो सकते हैं कि भूकंप अब कभी भी आ सकता है। इसकी तीव्रता 8.5 हो सकती है’।
इसके अलावा एक स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद और नेशनल सेंटर फॉर सेस्मोलॉजी नई दिल्ली में हुए रिसर्च भी इस खतरे की पुष्टि करते हैं।
Last Updated Dec 1, 2018, 2:46 PM IST