नई दिल्ली। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाना में शुरू हुई पूजा पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल को स्पष्ट रूप से मना कर दिया। साथ ही नमाजियों के लिए यथा स्थिति बनाए रखने का भी आदेश दिया है। देश की शीर्ष अदालत ने मुस्लिम पक्ष मसाजिद इंतजामिया कमेटी की नई याचिका पर आज सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस निर्णय को चुनौती दी गई है, जिसमें मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने की अनुमति देने से संबंधित निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा गया है।

CJI की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को पुजारी शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास को भी मसाजिद कमेटी की याचिका पर 30 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट पीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने यह निर्देश दिया।

31 जनवरी को वाराणसी जिला अदालत ने दक्षिणी तहखाने में शुरू कराई थी पूजा
बताते चले की 31 जनवरी 2024 को वाराणसी डिस्टिक कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी व्यास जी तहखाना में पूजा का अधिकार देते हुए डीएम को इंतजाम करने को कहा था। कोर्ट के निर्देश के कुछ घंटे के भीतर ही वाराणसी डीएम ने यहां पर विधिवत्त पूजा शुरू कर दी। 1 फरवरी से यहां पर समय अनुसार पूजा आरती शुरू हो गई। वर्तमान में विश्वनाथ मंदिर प्रशासन के पास ही यहां पर पूजा का अधिकार दिया गया है। इसी आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने पहले हाई कोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1993 के सरकार के आदेश को माना था अवैध
इससे पहले 26 फरवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की उसे अर्जी को खारिज कर दिया था। जिसमें 31 जनवरी को वाराणसी डिस्टिक कोर्ट की ओर से तहखाना में हिंदू पक्ष को पूजा पाठ करने की अनुमति दी गई थी। मसाजिद इंतजामियां कमेटी की याचिका को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 1993 में व्यास जी के तहखाना में पूजा रोकने का जो फैसला किया था, वो अवैध था। इसलिए उसे रोक नहीं जा सकता। 

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